उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले में सिक्खों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी का 347 वा शहीदी दिवस गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया गया। ज्ञानी गुरुवचन सिंह ने बताया श्री गुरु तेग बहादुर जी सिखों के नौवें गुरु थे। विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धान्त की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है।
उन्होने काश्मीरी पंडितों तथा अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया। 1675 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने उन्हे इस्लाम स्वीकार करने को कहा। पर गुरु साहब ने कहा कि सीस कटा सकते हैं, केश नहीं। इस पर औरंगजेब ने सबके सामने उनका सिर कटवा दिया। गुरुद्वारा शीश गंज साहिब तथा गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उन स्थानों का स्मरण दिलाते हैं जहाँ गुरुजी की हत्या की गयी तथा जहाँ उनका अन्तिम संस्कार किया गया।
गुरुजी का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर बलिदान था। धर्म उनके लिए सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन विधान का नाम था। इसलिए धर्म के सत्य शाश्वत मूल्यों के लिए उनका बलि चढ़ जाना वस्तुतः सांस्कृतिक विरासत और इच्छित जीवन विधान के पक्ष में एक परम साहसिक अभियान था।
धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतन्त्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध गुरु तेग बहादुरजी का बलिदान एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक घटना थी। यह गुरुजी के निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण था। गुरुजी मानवीय धर्म एवं वैचारिक स्वतन्त्रता के लिए अपनी महान शहादत देने वाले एक क्रान्तिकारी युग पुरुष थे।
नवम्बर, 1675 ई॰ (भारांग: 20 कार्तिक 1597 ) को दिल्ली के चांदनी चौक में काज़ी ने फ़तवा पढ़ा और जल्लाद जलालदीन ने तलवार करके गुरु साहिब का शीश धड़ से अलग कर दिया। किन्तु गुरु तेग़ बहादुर ने अपने मुँह से सी’ तक नहीं कहा। आपके अद्वितीय बलिदान के बारे में गुरु गोविन्द सिंह जी ने ‘बिचित्र’ नाटक में लिखा है।
तिलक जंञू राखा प्रभ ताका, कीनो बडो कलू महि साका,
साधन हेति इती जिनि करी, सीसु दीया परु सी न उचरी,
धरम हेत साका जिनि कीआ, सीसु दीआ परु सिररु न दीआ।
गुरु तेग बहादुर जी को हिन्द की चादर कहा जाता है गुरुद्वारा साहिब में सारा कार्यक्रम प्रधान पपिन्दर सिंह की अगुवाई में हुआ। इस उपलक्ष्य में लाभ सिंह,जसवीर सिंह, रिंकू, सिमरन, मंजीत सिंह, परमिंदर सिंह, गुरमीत सिंह व महिलाओं में हरजीत कौर, हरविंदर कौर, मंजीत कौर, सतनाम कौर, ज्योति कौर, प्रभजीत कौर, सिमरन, शीनू और सभी भक्तजन उपस्थित रहे।
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