उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले में पांडु नदी व गंगा नदी के लगातार जल स्तर बढ़ने से गंगा कटरी में बसे किसानों के लिए बाढ़ मुसीबत बनती जा रही है। पांडु नदी का जल दरियापुर पुल से बिंन्दकीफॉर्म तक बनी सड़क के ऊपर से लगभग एक दर्जन जगहों से जल बहने लगा है जल के सड़क के ऊपर से बहने से आवागमन बाधित हो गया है। वहीं लोगों के घरों में पानी घुस गया है लेकिन लोग अपना घर छोड़कर आने को तैयार नहीं है। ननका निषाद मदारपुर ने बताया कि अब लोगों की फसलों में 100% पानी भर गया है। सारी फैसले पानी के भरने से नष्ट हो चुकी हैं। मेवालाल निषाद बंबुरी खेड़ा ने बताया कि जानवरों के चारे के लिए विकराल समस्या खड़ी हो गई है लोगों का जहां भूसा भरा था वहां पानी भर चुका है जिससे भूसा खराब हो गया है। खेतों में पानी भरने से हरा चारा भी खत्म हो गया है
अब जानवरों के लिए विकराल समस्या खड़ी हो रही है। लोग घर छोड़कर विस्थापित कैंप में आने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि हम घर छोड़कर चले जाएंगे लेकिन चोर नाव लगाकर सामान चोरी कर ले जाते हैं इसलिए हम घर छोड़कर नहीं जा रहे। अपना घर कौन छोड़ना चाहता है साहब मजबूरी है सब करवा देती है। हम लोग आखिरी समय तक अपने घर को नहीं छोड़ेंगे। बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में पशुधन प्रसार अधिकारी सुष्मिता यादव अपनी टीम के साथ जानवरों को टैगिंग करती देखी जा रही है। वही बाढ़ विस्थापित कैंप में पहुंचे लोगों में शारीरिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों को देखकर दवा वितरण का काम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से आए डॉक्टर अरशद अली अंसारी व बाढ़ नोडल अधिकारी हिमांशु श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने बताया कि वायरल फीवर एवं सर्दी जुकाम के मरीज ज्यादा आए हैं लगभग 40 लोगों को दवा वितरित की गई है। विस्थापित कैंप में पीने के लिए पानी का टैंकर, मोबाइल शौचालय भी खड़ा कराया गया है वही मल्लू खेड़ा गांव निवासी किसान रंजन निषाद ने बताया कि बाढ़ विस्थापित कैंप में अपने परिवार को लेकर सुबह से आ गए हैं लेकिन अभी तक प्रशासन द्वारा राशन या खाने की कोई भी सामाग्री मुहैया नहीं कराई गई है छोटे-छोटे बच्चे खाने की तलाश में बैठे हैं।
अभयपुर ग्राम प्रधान रामदास निषाद ने बताया कि बिंदकी फॉर्म बेनी खेड़ा, बड़ा खेड़ा, मदारपुर, दरियापुर कटरी में ज्यादातर घरों में पानी घुस गया है। जिससे समस्या विकराल होती जा रही है जो 14 वर्ष पहले 2010 में ऐसी बाढ देखने को मिली थी लगता है कि इस बार उससे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। विस्थापित कैंप के किसानों ने बताया कि कैंप में अभी तक ना तो कोई खाने पीने की व्यवस्था की गई है यहां तक की सभी व्यक्तियों को तिरपाल भी मुहैया नहीं हो पाई है जिससे अपने सामान को सुरक्षित रखने में कठिनाई हो रही है वहीं छोटे-छोटे बच्चों को खुले आसमान के नीचे बैठना पड़ रहा है।
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