इस चकाचौध भरे युग मे बिरले ही होते है जो सरकार से मुफ्त में मिल रही सानो सौकत को छोड़ कर अपने फ़र्ज़ को ज़्यादा प्राथमिकता देते है। जहाँ लोगो मे जैसे होड़ लगी है एक दूसरे से आगे निकलने की। वही दूसरी जानिब एक ऐसे महापुरुष भी है जो पेशे से शिक्षक होते हुए चुनाव जीत कर विधायक भी बन गए। उसके बाद जो सामने आया उसको देख कर इस कल युग मे लोगो को विश्वाश करना मुस्किल हो रहा है। अगर आपको भी इस कल युग मे भगवान को देखना है तो आपको उत्तर प्रदेश कुशीनगर जिले के फाजिल नगर आना होगा। जहाँ शिक्षक से विधायक बने गुरु जी इस समय चर्चा का विषय बने हुए है। हो भी क्यो नही अधिकतर विधायक बनने के बाद लोग अपने रहन सहन का तौर तरीका बदल लिया करते है। लेकिन कभी कभी भीड़ में कुछ चेहरे अपनी अलग छाप छोड़ जाते हैं। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्वामीप्रसाद मौर्या को जमीन दिखाने वाले फाजिल नगर के विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा का भी कुछ यही हाल हैं जिन्होंने विधायक पद का वेतन भी लेने से ही इनकार कर दिया।
कक्षा 6 की क्लास में पढ़ा रहे यह शिक्षक कोई आम शिक्षक नहीं बल्कि फाजिल नगर इलाके के विधायक सुरेंद्र कुशवाहा है। जो स्वामीप्रसाद मौर्य जैसे हैवीवेट नेता को हराकर विधान सभा पहुंचे हैं। पेशे से सहायक अध्यापक सुरेन्द्र कुशवाहा चाहते तो औरों की तरह पांच साल की अवैतनिक छुट्टी लेकर विधायकी का आनन्द ले सकते थे। मगर इनके भीतर के भीतर छिपे शिक्षक ने इसकी इज़ाज़त नहीं दिया। साथ ही विधायकी का वेतन त्याग कर ले रहे हैं शिक्षक का वेतन और शिक्षक होने का दायित्व भी निभा रहे हैं। रोज सुबह दस बजे विद्यालय में पहुंच कर हाजिरी देना और फिर जितनी कक्षाएं पढ़ाने का जिम्मा है उसे पूरी करना विद्यालय के समय के बाद क्षेत्र में समय देना यह इनकी रोज की दिनचर्या का हिस्सा है।
सुरेन्द्र कुशवाहा के मुताबिक वो अपना अधिकतम समय बच्चों को देना चाहते हैं क्योंकि यह उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। भले ही विधायक बन गए मगर बच्चों का कोर्स समय से पूरा होना चाहिए। रही बात सदन चलने की तो उस दौरान यह अवैतनिक अवकाश पर रहेंगे। शिक्षक के रुप में विधायक को अपने बीच पाकर बच्चे भी गदगद हैं।
दरअसल फाजिलनगर के विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा पावानगर महावीर इंटर कॉलेज में सामाजिक विज्ञान के अध्यापक हैं। लिहाजा विधायक चुने जाने के बाद भी उनकी प्राथमिकता उनके बच्चे हैं। कॉलेज के प्रिंसिपल भी विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा की इस अहम फैसले के मुरीद हो चुके हैं।