कभी कभी कोई ऐसी खबर सामने आ जाती है जिसको लिखने के लिए अल्फ़ाज़ नही मिलते। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ इंसान को जब पुत्र की प्राप्ति होती है तो उसकी खुशी का ठिकाना नही रहता। वजह होती है बड़ा होकर बेटा पिता का सहारा बनेगा इसी से कुल आगे चलेगा। इसी उम्मीद के साथ पिता पुत्र रूपी पौधे की परवरिश करता है। कल पौधा वट बृक्ष का रूप लेगा तो इसी के साये में बची हुई ज़िन्दगी कट जाएगी। इसी उम्मीद के साथ पिता की ज़िन्दगी में संघर्ष शुरू हो जाता है। अगर पिता गरीब हो ऊपर से विकलांग और परिवार को पालने के साथ साथ बच्चो की पढ़ाई लिखाई की ज़िम्मेदारी उठानी पड़े तो कितना मुस्किल होता है। इस बात का अंदाज़ा आप खुद लगा सकते है। अगर इसी बीच पिता के सारे सपने टूटकर चकना चूर हो जाये तो पिता पर क्या बीतेगी यह सोचकर कलेजा काँप जाता है। कुछ ऐसी ही घटना है जिसको हम आपसे साझा कर रहे है।
जहाँ एक हाथ से माज़ूर बाप दुनिया से रुखसत हो चुके अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए छटपटा रहा है।

पूरा मामला उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के छिबरामऊ थाना क्षेत्र के मड़ैया गाँव का है। यहां के दिव्यांग जहांगीर का 15 वर्षीय बेटा 23 जुलाई को अपना एडमिशन कराने गांव के ही पश्चिमी बाईपास कसावा के पास आर एस इंटर कॉलेज गया था। तभी बच्चों बच्चों में किसी एक बच्चे ने दूसरे बच्चे के बैग में घड़ी डाल दिया और चोरी का इलज़ाम दिलशान पर लगा दिया। जहांगीर का कहना है कि बेटे ने फोन पर पूरा मामला बताया था। घटना के बाद दिलशान के शव का पोस्टमार्टम किया गया। जिसमें बच्चे की बीमारी से मौत होना दर्शाया गया। वहीं मामले में पीड़ित पिता ने यह आरोप लगाया है कि मेरे बच्चे के शव का दोबारा पोस्टमार्टम पैनल से कराया जाए उसे किसी तरह की कोई बीमारी नहीं थी। पुलिस ने मामला रफा-दफा करने की नियत से आरोपी पक्षों के साथ षड्यंत्र रचा है। दिव्यांग पिता को यह भी डर सता रहा है की कब्र में दफन शव के साथ आरोपी पक्ष कुछ छेड़छाड़ कर सकते हैं। जिसके चलते 5 दिनों से पीड़ित पिता व उसके साथी लोग दिन और रात कब्र की सुरक्षा कर रहे हैं। पीड़ित पिता लगातार जिले के डीएम और एसपी से न्याय की गुहार लगा रहा है। वही दूसरी तरफ पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई चोट न आने के कारण आरोपियों पर कोई कार्यवाई न होना कारण बता रही है। पुलिस अधीक्षक कुंअर अनुपम सिंह का कहना है कि फिर भी मामले में जांच जारी है जो भी सच्चाई होगी जल्द सामने आएगी।

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