उत्तर प्रदेश प्रतापगढ़ जिले में जून के महीने में नहरों में धूल उड़ रही थी, कि अचानक 20 जून को शारदा सहायक नहर की इलाहाबाद जल शाखा व प्रतापगढ़ जल शाखा समेत अन्य रजबहा व माइनरों जलापूर्ति होने से किसानों के मुरझाए चेहरे एकाएक खिल उठे। तत्काल किसान अपनी खेती बारी में जुट गए। क्योंकि नहरों में पानी न होने के कारण नहरी क्षेत्र के किसानों की धान की नर्सरी नहीं डाली गई थी। विलंब से ही सही किसान अपनी नर्सरी डालने के लिए जी जान से जुट गए हैं। हलांकि जून के अंतिम सप्ताह से धान की रोपाई का उपयुक्त समय होता है, लेकिन नर्सरी तैयार न होने के कारण इस वर्ष विलंब से रोपाई होगी। हां जिन किसानों ने अपने निजी संसाधनों से किसी तरह नर्सरी तैयार कर ली है। उनके लिए तो सबसे अच्छा व उपयुक्त समय पर पानी की आमद हो गई है। लेकिन नहर क्षेत्र के अधिकांश किसान अब नर्सरी डालना शुरू कर रहे हैं। जबकि धान की नर्सरी डालने का समय लगभग समाप्त हो चुका है। शारदा सहायक नहर की इलाहाबाद जलसाखा जो प्रतापगढ़ जनपद में रायबरेली जनपद के ऊंचाहार क्षेत्र से पहुंचती है।
प्रतापगढ़ जनपद की कुंडा तहसील के पश्चिमी छोर से पूर्वी छोर तक ऊंचाहार रजबहा, मानिकपुर रजबहा, ताजपुर रजबहा, भदरी रजबहा व परियावां माइनर, लवाना माइनर, कस्बा माइनर, खनवारी माइनर, धनगढ़ माइनर, मुर्तजापुर माइनर, लखीपुर माइनर, बल्ला माइनर, लरू माइनर, रायपुर भरखी माइनर, बसवाही, कनावा, पिंगरी माइनर समेत सभी अल्पिकाओ में जलापूर्ति शुरू हो गई है। इसी प्रकार शारदा सहायक नहर की प्रतापगढ़ जलसाखा व उसकी अन्य जलसाखाओ में भी पानी आने से किसानों के माथे पर जो चिंता की लकीरें खींच गई थी। अब चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई है। क्योंकि जल ही जीवन है, और जल किसान के जीवन का मुख्य आधार है। सरकार ने इस वर्ष लगभग एक माह विलंब से नहर में पानी छोड़ा है। यह समझ से परे की बात है। हो सकता सरकार पहले ही कहा था कि सन 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी कर दी जाएगी, हो सकता है सरकार के पास कोई फार्मूला हो आमदनी दुगनी करने के लिए इसलिए विलंब से नहर में पानी छोड़ा गया है।: – शाहबाज खान की खास रिपोर्ट
