उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले की बिन्दकी नगर में इन दिनों दशहरा महोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं तो वहीं प्रचार प्रसार भी जोरों पर है। प्रचार का नशा ऐसा कि कौन महापुरुष कैसा महापुरुष इन सभी को दर किनार कर ऐसा प्रचार किया गया। कि खुद इससे पालिका अध्यक्षा भी अछूती नहीं रहीं। दो अक्टूबर को भले ही माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी हो लेकिन मन में क्या है और बाहर क्या इसका पता तो तब चला जब उन्हीं महापुरुष को अपने बैनरों से लाद दिया गया। ऐसे में तो असली राष्ट्र नायक का चेहरा ढक गया और नये स्थानीय चेहरे सामने आ गये। जिससे हाथी के दिखाने के दांत दूसरे तो चबाने के दूसरे की कहावत यहां पर सटीक बैठती नजर आ रही है। दो अक्टूबर को श्रद्धा सुमन अर्पित कर मगरमच्छी आंसू बहाकर उन्हें याद करना और फिर बाद में उन्हीं की प्रतिमा स्थल को अपने प्रचार केन्द्र का मजबूत स्तम्भ बनाकर बड़ी बड़ी होर्डिंगों से पाट देना यह कैसी देशभक्ति है इतना तो गिरगिट भी रंग नहीं बदलता होगा जितना आज कल की राजनीतिक पार्टियों के नेता रंग बदलते हैं।
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