उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले में डॉ० अनुभा राजेश प्रारंभिक बाल रोग विकास विशेषज्ञ ने कहा गर्भावस्था के दौरान संवेदनशील देखभाल की होती है आवश्यकता पीड़ा या समस्या को नाटक न समझें, आकांक्षी जनपद में जीवन के प्रथम 1000 परियोजना के अंतर्गत संवेदनशील परवरिश एवं प्रारंभिक बाल्यावस्था में सीखने के अवसरों पर आधारित जिला स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण आज दिनाँक 2 जुलाई 2024 से पुनः अंतिम तीसरे बैच के साथ आरम्भ हो चूका है। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में ब्लाक ऐराया, विजयीपुर , खागा ,धाता एवं शहरी बाल विकास परियोजना के समस्त प्रतिभागी सक्रीय रूप से प्रतिभाग कर रहे हैं। इस प्रशिक्षण कार्यशाला के प्रथम दिन जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग के द्वारा समस्त प्रतिभागियों को परियोजना की कार्य प्रगति एवं प्रशिक्षण के उद्देश्यों से परिचित कराया गयाI साथ ही प्रशिक्षण के तकनिकी सत्रों के दौरान डॉ अनुभा राजेश ने बताया की गर्भावस्था एक जटिल और संवेदनशील अवधि है, जिसमें महिला के शरीर में कई शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन होते हैं। इस दौरान महिलाओं को विशेष देखभाल और समझ की आवश्यकता होती है। अक्सर, गर्भवती महिलाओं की समस्याओं या पीड़ा को लोग गलत समझ सकते हैं या उन्हें नाटक मान सकते हैं, लेकिन यह दृष्टिकोण अत्यंत अनुचित और असंवेदनशील होता है।

क्यों गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए,1. शारीरिक परिवर्तन हार्मोनल बदलाव, गर्भावस्था के दौरान, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोनों का स्तर तेजी से बढ़ता है, जो भावनात्मक अस्थिरता और शारीरिक असुविधा का कारण बन सकता है।2. शारीरिक तनाव, गर्भवती महिलाओं को पीठ दर्द, पैरों में सूजन, और मितली जैसे शारीरिक कष्ट हो सकते हैं। 3. अधिक वजन का असर, गर्भावस्था के दौरान बढ़ते वजन के कारण महिलाओं को थकान और असहजता महसूस हो सकती है। 3. मानसिक और भावनात्मक प्रभाव एवं अस्थिरता, हार्मोनल परिवर्तन मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे चिंता, अवसाद, और मूड स्विंग्स हो सकते हैं। 4. भावी माता-पिता की चिंताएँ, गर्भवती महिलाओं को अपने और बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में चिंता हो सकती है, और वे अपने जीवन में आने वाले बड़े बदलावों के बारे में सोच सकती हैं। 3. चिकित्सकीय जोखिम अथवा गर्भावस्था संबंधित जटिलताएं, जैसे गर्भपात, प्रीक्लेम्पसिया, या गर्भकालीन मधुमेह जैसी समस्याएं हो सकती हैं। नियमित जांच और अल्ट्रासाउंड के माध्यम से यह सुनिश्चित करना कि सब कुछ सही है, गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। 4. सामाजिक और पारिवारिक दबाव या समाज की उम्मीदें, अक्सर, समाज और परिवार के सदस्य गर्भवती महिलाओं से बहुत सारी अपेक्षाएँ रख सकते हैं, जो मानसिक दबाव का कारण बन सकती हैं। 5. घरेलु या व्यावसायिक कार्य जीवन, कामकाजी महिलाओं को कार्य और गर्भावस्था के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। समर्थन और देखभाल का महत्व: सुनना और समझना: गर्भवती महिलाओं की बातों को गंभीरता से सुनना और उनकी भावनाओं और आवश्यकताओं को समझना महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया की गर्भावस्था के 270 दिन गर्भवती महिलाओं को भावनात्मक समर्थन की जरूरत होती है। गर्भावस्था एक अद्वितीय अनुभव है, और हर महिला का अनुभव अलग होता है। उनके कष्ट या समस्याओं को नाटक मानना, न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं के प्रति सहानुभूति, समर्थन और संवेदनशीलता से पेश आना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान परियोजना की समस्त टीम राज्य प्रमुख साक्षी पवार, प्रारंभिक बाल्य विकास विशेषज्ञ आर्यन कुशवाहा , स्वास्थ्य एवं पोषण विषय विशेषज्ञ सोनल रूबी राय , परियोजना अधिकारी अनामिका पांडेय एवं प्रशांत पंकज आदि ने सत्रों के दौरान तकनीकी सहयोग प्रदान किया।
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