उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के सरदार बल्लभ भाई पटेल प्रेक्षा गृह में प्रमोशन आफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फार इन-सीटू मैनेजमेन्ट आफ क्राप रेजिड्यू योजनान्तर्गत एक दिवसीय जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबन्धन जागरूकता गोष्ठी एवं नेशनल मिशन ऑन एडिबिल ऑयलसीड्स योजनान्तर्गत तिलहन मेला कार्यक्रम का आयोजन मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीना की अध्यक्षता में आयोजन किया गया। इस अवसर पर कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य, रेशम, इफको, फसल बीमा, मिश्रा बीज भण्डार, जैविक उत्पाद के स्टाल लगाये गये। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा 10 किसानों को तिलहनी फसलों के मिनीकिट वितरण किये गये और कृषक बन्धुओं को पराली जलाने से होने वाले नुकसानके बारे में विस्तार से बताते हुये पराली को न जलाने हेतु प्रेरित किया गया। उन्होंने कहा कि खेत में फसल अवशेष जलाने से मित्र कीट मर जाते हैं और जीवांस खत्म हो जाते हैं जो खेत के लिये बहुत उपयोगी हैं। पराली प्रबन्धन हेतु डिकम्पोजर का प्रयोग करें और निराश्रित गोवंश की गौशालाओं में पराली दान करें और उसके बदले गौशालाओं से खाद प्राप्त करें। जिलें में कहीं भी पराली जलाने की घटनायें होने पर सेटेलाइट द्वारा जानकारी प्राप्त हो जाती है और मजबूरन जिला प्रशासन को कार्यवाई हेतु बाध्य होना पड़ता है। किसानों से अनुरोध किया गया कि धरती को स्वस्थ्य रखें और फसल अवशेष और सरपत को कदापि न जलायें और अच्छे जागरूक नागरिक बनें। ऐसे कृषक/संगठन पराली प्रबन्धन पर अच्छा कार्य कर रहे हैं उनसे अनुभव साझा करने और सौहार्द के साथ त्यौहार मनाने की अपील की गयी। अपर जिलाधिकारी (वि०/रा०) द्वारा बताया गया कि जिस तरह से हम लोगों के लिये अनाज, शब्जी, जल, आदि आवश्यक हैं उसी प्रकार स्वच्छ वायु भी आवश्यक है इसलिये आवश्यक है कि वायु की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिये फसल अवशेष कदापि न जलायें। फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु उपयोगी यंत्रों का प्रयोग करें। वर्तमान में एन०जी०टी० वायु प्रदूषण के प्रति बहुत सख्त है। इसकी उच्च स्तर पर प्रतिदिन समीक्षा होती है। उपस्थित कृषक बन्धुओं से अनुरोध किया गया कि जिला प्रशासन के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलेंगे और जनपद में पराली जलाने की कोई घटना नहीं होने देंगे। उप कृषि निदेशक राममिलन सिंह परिहार द्वारा गोष्ठी में उपस्थित सभी अतिथिगण, अधिकारीगण एवं कृषक बन्धुओं का स्वागत करते हुए अवगत कराया गया कि जनपद में अधिकतर धान की पुआल में आग लगायी जाती है इसके सड़ाने-गलाने हेतु वेस्ट डिकम्पोजर का प्रयोग करें। जनपद के सभी राजकीय कृषि बीज भण्डारों पर डिकम्पोजर ससमय निःशुल्क वितरण हेतु उपलब्ध करा दिया जायेगा। फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु एन०जी०टी० से सम्बन्धित कृषि यंत्रों यथा बेलर, मल्चर, सीडड्रिल, सुपर सीडर आदि यंत्रों को कृषि विभाग द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है। धान की कटाई के बाद पराली जलाने की घटनायें न हो सकें इसके लिए जिला स्तर, तहसील स्तर, विकास खण्ड स्तर, ग्राम पंचायत स्तर पर जिला प्रशास द्वारा टीमें गठित की गयी है। साथ सचल दस्ते बनाए गए हैं।

जिलें में कहीं भी पराली जलाने की घटनायें होने पर सेटेलाइट द्वारा जानकारी प्राप्त हो जाती है। फसल अवशेष जलाने से प्रदूषण बढता है और स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेकों बीमारियों होती हैं। पराली / फसल अवशेष जलाने पर 2 एकड से कम भूमि वाले किसानों से रू0 2500/- का जुर्माना प्रति घटना, 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसानों से रू0 5000/- का जुर्माना प्रति घटना एवं 5 एकड से अधिक भूमि वाले किसानों से रू0 15000/- का जुर्माना प्रति घटना / दण्ड का प्राविधान है। इनके द्वारा कृषि विभाग द्वारा संचालित कृषि यंत्रीकरण एवं सोलर पम्प की योजना एवं अन्य योजनाओं के सम्बन्ध में कृषकों को विस्तृत जानकारी दी गयी। वैज्ञानिकों द्वारा वर्तमान में धान की फसल की सामयिक जानकारी तथा माह अक्टूबर में बोयी जाने वाली तिलहनी फसलों की नवीनतम कृषि तकनीकी जानकारी दी गयी। उनके द्वारा फसल चक के आधार पर ऊसर भूमि को उपजाऊ बनाने हेतु विस्तृत जानकारी दी गयी और फसल अवशेष खेत में जलाने से खेत की भौतिक, रसायनिक व जैविक दशा खराब हो जाती है और खेत की मिट्टी में मिलाने से खेत की दशा अच्छी और उपाजाऊ होती है। उनके द्वारा बताया गया कि यदि किसान संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करेंगे तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति सही रहेगी। अन्य विभागों से उपस्थित समस्त जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा अपनी-अपनी योजनाओं की जानकारी दी गयी और कृषकों से अपील की गयी कि फसलों के अवशेष न जलाकर उनको खेत में मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए खाद तैयार करें तथा प्रदूषण को रोकने में सहायोग प्रदान करने हेतु जागरूक किया। उप कृषि निदेशेक द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु जनपद स्तरीय जागरूकता कृषक गोष्ठी में उपस्थित अतिथियों, कृषक बन्धुओं एवं अधिकारियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया। इस अवसर पर इस कार्यक्रम में जिला जिला कृषि अधिकारी, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, भूमि संरक्षण अधिकारी, उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, मुख्य पशु चिकत्सा अधिकारी कृषि विज्ञान केन्द्र थरियाँव के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा० जगदीश किशोर, पंजाब यूनिर्वसिटी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा० रामसकल सिंह, सुआट्स नैनी के वैज्ञानिक डा० मदनसेन सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र थरियाँव से डा० जगदीश किशोर, पूर्व प्रोफसेर सी०एस०ए० कानपुर डा० शिवमंगल सिंह सहित भारी संख्या में पुरुष एवं महिला कृषक उपस्थित रहे।
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