उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले में एक समय था जब फाइलेरिया का नाम सुनते ही मरीज के मन में सब कुछ खत्म होने का भाव आता था लेकिन जागरूकता बढने और स्वास्थ्य विभाग के फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के क्रियान्वयन का असर यह रहा कि मरीजों की जिंदगी संवर रही है। फाइलेरिया पीडितों से बातचीत की गई तो उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई।

कोई कहता झाडफूंक तो किसी ने कहा गदालोड भिटौरा विकास खंड की गांव बसोहनी की रहने वाली सोमवती जब गर्भवती थी तभी पैरों में सूजन की समस्या से ग्रसित हो गई थी। उस समय पैर में सूजन देख कोई गदालोड होने की बात कहता तो कोई झाडफूंक कराने की सलाह देता था। सोमवती ने बताया कि जब आशा सुमन ने फाइलेरिया की दवा दी तो खाया उससे आराम मिला न तो बुखार आया और पैरों में भी सूजन कम होने लगी। अब तो खेती किसानी के काम में भी पति का सहयोग कर लेती हूं।

दवाओं ने किया कमाल, अब नहीं आता बुखार बसोहनी गांव के रहने वाले कृष्णलाल युवा अवस्था में ही फाइलेरिया की चपेट में आ गये। हाइड्रोशील का आपरेशन भी करा चुके है। कृष्ण लाल पिछले तीन साल से फाइलेरिया की दवा खा रहे है। बताते हैं कि जब से दवाओं का सेवन करने लगा तब से न तो बुखार आता है और न ही हाइड्रोशील की समस्या है। अब सामान्य जीवन जी रहे है।

अब बिना संकोच नाते रिश्तेदारी पहुंच रहे संजय बसोहनी गांव के रहने वाले संजय जब चार साल पहले फाइलेरिया से ग्रसित हुये तो उनके पैर में बहुत सूजन थी और तेज बुखार आया। बीमारी से परेशान संजय जिंदगी से निराश हो गये थे और समाज में बैठने में भी संकोच करते थे लेकिन जब उन्होंने नाइट ब्लड सर्वे कराया और फाइलेरिया की दवा का सेवन किया तो पैर की सूजन कम होने लगी और दोनों पैर सामान्य हो गये। बताया कि नाते रिश्तेदारी में शादी व्याह के निमंत्रण में जाने से कतराते थे। लोग भी दुर्व्यवहार करते थे लेकिन जब से दवाओं का सेवन किया और नियमित योगा किया तब से सामान्य जिंदगी जी रहे है।

राजबहादुर और अंबर के जीवन में जगी आशा की किरण
बसोहनी गांव के रहने वाले राजबहादुर और उनकी पत्नी अंबर देवी दोनों फाइलेरिया की चपेट में आ गये। दोनों पति पत्नी ने झांडफूंक के चक्कर में फंसकर पैसा बर्बाद किया। अब फाइलेरिया की दवाओं का सेवन करके सामान्य जीवन जी रहे है। राजबहादुर ने बताया कि हाथ में सूजन होने से खेती का काम नहीं कर पाते थे।

जब से दवा खाने लगे अब बेटे के साथ किसानी का काम कर लेते हैं। उनकी पत्नी अंबर देवी ने बताया कि करीब दस साल से पैर में सूजन होने की वजह से निराश हो गये थे। सोच लिया था कि अब ऐसे ही जीवन कटेगा लेकिन जब से दवाओं का सेवन किया तो बहुत आराम मिला।

जिला मलेरिया अधिकारी सुजाता ठाकुर ने कहा कि फाइलेरिया रोगी यदि नियमित साफ सफाई रखें और व्यायाम करें तो बीमारी कंट्रोल रहती है। सरकार भी फाइलेरिया रोगियों का पूरा ध्यान दे रही है। फाइलेरिया ग्रसित अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में प्रभावित अंगों की साफ सफाई रखना बेहद जरूरी होता है। इसलिये मरीजों को फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत एमएमडीपी किट मुहैया कराई जा रही है।
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