उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के हसवा कस्बे के श्री स्वामी चंद दास रामलीला कमेटी द्वारा ऐतिहासिक रामलीला के 226 वें वर्षों से लगातार सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। रामलीला के सातवें दिन परंपरा के अनुसार करवां चौथ के दिन ही रावण वध की लीला का मंचन किया जाता है। इस वर्ष भी रावण वध के दिन सैकड़ों की तादाद से अधिक रामलीला देखने के लिए भीड़ उमडी़। रावण का भाई विभीषण अपने बड़े भाई को बहुत समझते है कि वह माता-सीता को वापस कर दें। और प्रभु की शरण में चला जाएं। इस बात से अधिक क्रोधित होकर रावण विभीषण को अपनी लंका से निकाल देता है । विभीषण रामादल में पहुंचें। जहां प्रभु श्री राम समुद्र के जल से विभीषण का राज तिलक करते हैं। इसके बाद राम और लक्ष्मण लगातार तीन दिनों तक समुद्र की वंदना करते हैं कि वह सेना को समुद्र पार जाने के लिए रास्ता दे दें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ अंत में क्रोधित होकर प्रभु राम धनुष में तीर चढ़ाते हैं। और जैसे ही समुद्र को सुखाने के लिए आगे बढ़ते हैं। वैसे ही समुद्र आगे आया और प्रार्थना कि ऐसा न करें। आपके दल में नल नील नाम के दो भाई हैं। अगर वह आपका नाम लेकर समुद्र में पत्थर डालेंगे । तो पत्थर डूबेगा नहीं ऐसा ही हुआ और समुद्र में पुल बनकर तैयार हो गया। फिर राम और लक्ष्मण ने मंत्र उच्चारण के बीच प्रभु रामेश्वरम की स्थापना की गई। जहाँ सैकड़ो की संख्या में भक्तों ने रामेश्वरम की आरती की गई। अंतिम अवसर के रूप में युवराज अंगद को लंका भेजा गया। अंगद ने रावण को समझाया कि वह जगदंबा सीता को वापस कर दें। देखते ही देखते रावण अंगद में अधिक देर तक संवाद हुआ।और श्रोता वीर रस की प्राप्ति करते है, अंगद के वापस आने के बाद रामा दल द्वारा लंका में चारों ओर से चढ़ाई कर दी गई। और लंका की आधी सेना मार दी गई। लक्ष्मण और मेघनाथ में भीषण युद्ध हुआ । मेघनाथ द्वारा लक्ष्मण को मूर्छित किया गया। लक्ष्मण की मूर्छित होते हैं राम रोते विलखते हुए कहते हैं कि क्या बतलाऊंगा माता पिता को कैसें लक्ष्मण मूर क्षति हो गए। वही वीर हनुमान संजीवनी बूटी लेकर वापस आए और संजीवनी बूटी मिलते ही लक्ष्मण चेतनावस्था में आ गए । एक बार फिर मेघनाथ और लक्ष्मण में भीषण युद्ध हुआ लक्ष्मण द्वारा मेघनाथ का वध किया गया। मेघनाथ की पत्नी सुलोचना का विलाप करते हुए पति के साथ चिता में सती हो गई। उधर कुंभकरण और राम में भीषण युद्ध हुआ। राम द्वारा कुंभकरण का वध किया गया।रावण ने अपने सम्मोहन मंत्रद्वारा पाताल लोक से अपने पुत्र अहिरावण को बुलाया । अहिरावण छल से राम लक्ष्मण को चुरा कर पाताल लोक पहुंचे। जैसे ही राम- लक्ष्मण की बलि देने जा रहा था । वैसे ही वीर हनुमान पहुंचें। और उन्होंने राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया। अंत में वह घड़ी आई जिसका हजारों दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था। रावण देखा कि एक-एक कर के लंका के सभी वीर योद्धा वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं । रावण स्वयं राम से युद्ध करने के लिए युद्ध स्थल में पहूंच और राम और रावण का भीषण युद्ध हुआ मेघनाथ ने बताया कि रावण की नाभि में अमृत है। जैसे ही प्रभु श्री राम ने एक साथ 31 तीर छोड़े वैसे ही रावण की मृत्यु हुई। इस मौके पर ऐतिहासिक रामलीला के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंह, उपाध्यक्ष उदयभान सिंह, एवं थारियावं थानाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह, हसवा चौकी इंचार्ज राजेश सिंह भारी पुलिस फोर्स के तैनात रहे।
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