माहे रमज़ानुल मुबारक का पाक महीना गरीबों की मदद और बुराइयों से दूर रहने का संकल्प लेने के रूप में भी जाना जाता है। रमजान में हर एक मुसलमान को अपनी मगफिरत करा लेनी चाहिए न जाने अगला रमजान उसको नसीब हो या नही। जिंदगी का किसी को कुछ पता नहीं, इसलिए माहे रमज़ानुल मुबारक की कद्र करनी चाहिए। रमजान में शब-ए-कद्र की रातो का भी कुछ मर्तबा है माहे रमज़ान की कुछ रातें ऐसी होती हैं जिनमें जागने से एक हजार रात में जागने के बराबर सवाब मिलता है जिसे ताक रात कहा जाता है। मुसलमान जब अपनी नींद को तर्क करते हुए रातों को जाग कर अल्लाह की इबादत में मसरूफ होता है। तो अल्लाह उस नेक बन्दे पर रहमो करम की बारिश इनायत करता है। दिनभर रोजा रखकर शाम को हलाल कमाई से रोजा इफ्तार करना चाहिए। रमजान के वक्त पर अपने आंख, नाक, कान, हाथ और पैर का सही तरीके से जायज काम लेना चाहिए। रमजान ज़िन्दगी की खुशियों में शामिल है। रमजान में रोजेदार को रहम दिल, कृपालु, सेवक और पक्का सच्चा तथा ईमानदार होना चाहिए। रोजेदार को झूठ, चुंगलखोरी, हरामकारी, धोखा और अय्याशी से दूर रहकर अपने गुनाहों की पक्की तौबा कर लेनी चाहिए। यही वक्त है जब आपके हाथ में जीवन है। यदि आप बुरे कर्मों से दूर रहकर अच्छे कामों में जीवन यापन करेंगे तो मरने के बाद जन्नत का मुंह देखना नसीब होगा। कब्र के आजाब से और जहन्नम की आग से अल्लाह तआला हमें महफूज रखे, आमीन
: – धाता नगर से पत्रकार मोहम्मद कलीम की खास रिपोर्ट
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