उत्तर प्रदेश प्रतापगढ़ राजा दिनेश सिंह कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जनपद के किसानों को तिलहनी फसलों के प्रति जागरूक करने हेतु बाबागंज विकासखण्ड के नरियॉवा गॉव में सूरजमुखी की हाईब्रिड प्रजाति कावेरी चैम्प की बुवाई मार्च माह में किसानों के यहॉ करायी गई थी। सूरजमुखी की फसल इस समय परिपक्व हो चुकी है। इस प्रजाति के प्रति अन्य किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए नरियॉवा गॉव में प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक डा0 नवीन कुमार सिंह ने आये हुए किसानों को बताया कि यह प्रजाति मात्र 90-95 दिन में परिपक्व हो जाती है तथा 15-20 कुन्तल प्रति हे0 उपज देती है। जिसमें तेल की मात्रा 40-42 प्रतिशत होती है। सूरजमुखी की फसल को उर्द के साथ सहफसली खेती के रूप में की जा सकती है। इससे किसानों को कम समय में अधिक लाभ प्राप्त होता है। प्रसार वैज्ञानिक डा0 अवधेश कुमार सिंह ने किसानों को बताया कि जो किसान गर्मी में खेत परती छोड़ देते है। यदि गर्मी में सूरजमुखी की खेती करें तो किसान भाई अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही तिलहन की समस्या से निदान पा सकते है।

क्यांकि सूरजमुखी एक ऐसी फसल है, जो रबी, खरीफ तथा जायद तीनों ऋतुओं में ली जा सकती है। उन्होने किसानों को बताया कि इस फसल में रोग एवं कीट बहुत ही कम लगते है। फिर भी कभी-कभी खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप देखा जाता है। इसके लिए क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. की 2 से 3 लीटर दवा प्रति हे0 की दर से सिंचाई के समय पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा यदि जैसिड, एफिड्स (मांहू), सफेद मक्खी, एवं हैडकीट आदि फसल को अधिक नुकसान पहॅुचा रहें हैं, तो इनके नियंत्रण के लिये इमिडाक्लोप्रिड 1 मि.ली./लीटर पानी की दर से घोलकर बनाकर छिड़काव करें। इस तकनीकि को देखने के लिए गॉव के श्याम समुझ मौर्य, श्याम सोनी मौर्य, शिव शंकर यादव, वीरेन्द्र पाण्डेय, राम कुमार शुक्ल, शिवदर्शन यादव, राजू गौतम, मनीष यादव आदि किसान उपस्थिति होकर सूरजमुखी की फसल का प्रक्षेत्र भ्रमण किया साथ ही वैज्ञानिको के साथ तकनीकी जानकारी प्राप्त किया।: – शाहबाज खान की खास रिपोर्ट

By