उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के हसवा कस्बे में या हुसैन या हुसैन की सदाओ के साथ मोहर्रम के ताज़िया का जुलूस हरे हाता से रात के 9 बजे बरामद हो कर बाजार होता हुआ रात के एक बजे हरे हाता पर ख़त्म हुआ। जुलूस में बड़ी संख्या में लोगो ने शिरक़त किया। मशहूर नावाहखा कौसर रिज़वी, सोहैल अब्बास, कैसर हँसवी और आरिज रिज़वी के साथ कई दूसरे लोगो ने जूलूस के दौरान दर्द भरे कलाम पेश किए। बाजार से लेकर मोहल्लाह चौधरना तक लोगो ने ताज़िये की ज़ियारत किया। इस मौके पर ताज़िया जुलूस के आर्गेनाइजर हुसैन रिज़वी ने बताया कि इस जुलूस में सभी समाज के लोग बड़ी अकीदत से शिरकत करते है। नौहा “चादर छिनती है” सोहैल अब्बास ने अपनी दर्द भरी आवाज़ में पेश किया। रसूल के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 शैदाइयों की शहादत का गम मनाने का दौर चल रहा है। कर्बला की जंग मानव इतिहास की ऐसी पहली जंग है, जिसमें जीतने वाले यजीद का नाम लेवा न रहा। वहीं इस जंग में शहीद इमाम हुसैन को पूरी दुनिया साल-दर-साल अकीदत के साथ याद करती है। इस जंग ने संदेश दिया कि जुल्म के खिलाफ खड़े होने वाले मर कर भी अमर हो जाते हैं। इसी क्रम में पहली से दस मोहर्रम तक शहर में विभिन्न इमाम बारगाहों, दरगाहों और कर्बला में मजलिसों की हलचल रहती है। वहीं शहर और गांव के विभिन्न मोहल्लों में ताजियों और अलम के जुलूस निकाले जाते हैं।
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