उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के हसवा ऐतिहासिक कस्बे के श्री स्वामी चंद दास जी महाराज के रामलीला मैदान में सीता हरण लीला का मंचन बड़े ही सुंदर ढंग से कलाकारों द्वारा किया। जिसे देखकर दर्शक भी भावुक हो गए। वन में धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए राम- सीता और लक्ष्मण ऋषि मुनियों से मिलते हुए। ऋषियों और भक्तों को अपना आशीर्वाद भी दिया। सुतीक्ष्ण नमक शिष्य को उसके गुरु ने आश्रम से बाहर निकाल दिया था। राम-लक्ष्मण पंचवटी में कुटी बनाकर उसे ही अपना निवास स्थान बना लेते हैं। उधर सूर्पनखा रावण की बहन है वन में घूमते घूमते पंचवटी में पहुंचती है। और कुटी के पास पहुंचकर राम लक्ष्मण को देखकर मोहित हो जाती है। उनसे विवाह करने के लिए राक्षसी से एक सुंदर नारी का भेष बनती है। और भगवान राम के पास पहुंचती है विवाह का प्रस्ताव रखती है लेकिन भगवान राम यह कहते हैं कि उनकी पत्नी है आप लक्ष्मण से विवाह कर ले वह लक्ष्मण के पास पहुंचती है। लक्ष्मण अपने आप को राम का सेवक बताते हैं। और उसे वापस कर देते हैं। फिर से राम उसे लक्ष्मण के पास भेजते हैं और एक बार फिर लक्ष्मण उसे राम के पास भेजते हैं। कई बार इधर-उधर आने-जाने से वह क्रोधित हो जाती है। और सुंदर नारी का भेष बदलकर अपने असली राक्षसी रूप में आती है। और कहती है कि असली जड़़ सीता है। क्यों न मैं इसे ही खाकर नष्ट कर दूं । जैसे ही वह सीता की ओर बढ़ती है। वैसे लक्ष्मण उसके नाक और कान काट देते हैं। अपनी खूबसूरत लेकर वह लंका अपने भाई रावण के पास पहुंचती है रावण को पूरा वृतांत सुनाती है। रावण क्रोध में आकर कहता है कि नारी का अपमान नारी से लिया जाएगा। और वह सीता के हरण के लिए लंका से निकल पड़ता है। अपने मामा मरीज के पास पहुंचता है। उनसे कहता है कि अपनी छल-विद्या से वह पंचवटी पहुंच कर राम लक्ष्मण को पांच कुटी से दूर करें। मामा वैसा ही करता है और एक सोने का हिरण बनकर पंचवटी कुटी के आसपास घूमने लगता है। पिता कहते हैं कि ऐसा सुंदर हिरण उन्होंने आज तक नहीं देखा और राम को उसे लाने के लिए कहती हैं। राम हिरण के पीछे पीछे जाते हैं। थोड़ी देर में है लक्ष्मण है लक्ष्मण की आवाज आती है। सीता व्याकुल हो जाती है। और वह लक्ष्मण को राम की रक्षा के लिए भेजते हैं। लक्ष्मण नहीं जाते हैं लेकिन सीता उन्हें अपनी सौगंध देती है। तब लक्ष्मण कुटी के चारों ओर लक्ष्मण रेखा खींचकर कहते हैं कि कुछ भी हो जाए इस रेखा के पार कभी न निकलना। और राम की खोज में निकल पड़ते हैं इधर रावण साधु का रूप बनाकर भिक्षा मांगने आता है। सीता लक्ष्मण रेखा से पर आने को मना कर देती हैं लेकिन साधु रूप में रावण के कई बार आग्रह करने पर वह लक्ष्मण रेखा के पर आती है। और रावण उन्हें अपने पुष्पक विमान में बैठकर आकाश में उड़ने लगता है। इधर गिद्धराज सीता को बचाने कोशिश करते हैं लेकिन रावण उनके पंख काट देता है। उधार वापस राम लक्ष्मण जब कुटी पहुंचते हैं तब सीता को न पाकर व्याकुल हो जाते हैं। और वन में इधर-उधर सीता की खोज करने लगते हैं उधर रावण सीता को हर कर लंका ले जाता है और अपने महल के अशोक वाटिका में सीता को पहुंचना है। अशोक वाटिका की रक्षासियों से कहता है कि सीता अब यही रहेगी और तुम सबको इसकी सुरक्षा में रहना है। वही सीता पंचवटी से लेकर पूरे रास्ते और अशोक वाटिका पहुंचने के बाद भी लगातार विलाप करती रहती हैं। अपने पति और देवर लक्ष्मण को पुकारती रहती हैं सीता को विलाप करते देखकर दर्शन भी अधिक भावुक जाते हैं। और उधर राम लक्ष्मण सीता की खोज करते हुए वन में धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाते हैं पशु पक्षी ऋषि मुनि सभी से सीता के बारे में पूछते हैं लेकिन कोई कुछ नहीं बात पता है और राम लक्ष्मण भी विलाप करते रहते हैं। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष और पदाधिकारी मौजूद रहे । वहीं थारियावं थाना प्रभारी अरविंद कुमार राय,एवं हसवा चौकी इंचार्ज सुमित देव पाडेय भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे।
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