उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिलें के ऐतिहासिक हसवा कस्बे में तीन सौ वर्षों से अधिक श्री स्वामी चंद दास महाराज की रामलीला मैदान में रावण वध की लीला का मंचन देखने के लिए फतेहपुर, कानपुर प्रयागराज, बांदा, लखनऊ, इसके अलावा ग्रामीण आचलों के गाँव में मिचकी, सेमरी, कलरवापुर, रिठवा, छीतमपुर भभैचा, आमांपुर, सहित सैकड़ों गावों के लोगों की भीड़ पहूँच आनन्द लिया। हनुमान माँ जानकी का पता लगाने के बाद वापस रामा दल पहुंचें। जहाँ लंका में घटित पूरी घटना माँ जानकी का पता लगते हुए लंका में चढ़ाई करने की तैयारी शुरू किया गया। अंतिम बार अंगद को दूत बनाकर लंका भेजा गया कि वह रावण को समझाएं और माँ जानकी को वापस कर दें। लंका पहुंचने पर अंगद और रावण का संवाद हुआ। दूसरी ओर भगवान राम और सुग्रीव तथा उनकी विशाल बंदर भालू की सबसे बड़ी बाधा विशाल समुद्र है। भगवान राम ने समुद्र की पूजा किया कि वह रास्ता दें-दें लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्रोध में आकर भगवान राम ने समुद्र को सुखाने के लिए उठें। तभी समुद्र देवता हाथ जोड़कर खड़े हो गए। कहा कि प्रभु ऐसा आप ऐसे न करिए। मैं आपको एक उपाय बताता हूं आपके दल में नल नील नाम के दो वीर बंदर हैं। उनको वरदान प्राप्त है। अगर वह जल में पत्थर डालेंगे तो वह डूबेगा नहीं। अतः विशाल समुद्र में नल नील के सहयोग से सेतु का निर्माण करें। और समुद्र के उसे पर लंका पहुंचें। भगवान राम ने वैसा ही किया और वीर नल नील की मदद से विशाल समुद्र में एक सेतु तैयार हो गया। इसके बाद भगवान राम ने समुद्र किनारे रामेश्वरम की स्थापना की। और विधि विधान से पूजा अर्चना भी की वही रामेश्वर की आरती में कमेटी के सभी सदस्य और भक्त बढ़ चढ़कर भगवान शंकर की आरती की। उधर रावण के दो गुप्तचर रामा दल की विशाल संख्या का आंकड़ा इकट्ठा करने आएं। लेकिन वीर हनुमान द्वारा उन्हें पहचान लिया गया। और वापस लंका भेज दिया गया। राम सहित सभी बंदर भालू समुद्र पार लंका पहुंचें। और लंका में चढ़ाई कर दी गई। रावण अपने भाई कुंभकरण के पास पहुंचें और युद्ध करने के लिए कहा कुंभकरण ने पहले रावण को बहुत समझाया। लेकिन रावण के न मानने पर राम से युद्ध करने के लिए युद्ध स्थल पहुंच गया। जिसे देखकर बंदर भालू डर गए। वही राम और कुंभकरण का युद्ध हुआ और राम द्वारा कुंभकरण का वध किया गया। सूचना मिलते ही रावण अधिक दुखी हुआ। इसके बाद रावण का पुत्र मेघनाथ युद्ध मैदान में आया और लक्ष्मण से युद्ध हुआ। मेघनाथ ब्रह्मास्त्र से लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया लक्ष्मण के मूर्छित होते ही भगवान राम करुण विलाप करते हैं। जिसे सुनकर दर्शक भी अधिक भावुक हुए वीर हनुमान लंका पहुंचकर सुखन वैद्य को घर सहित उठा लाएं। वैद्य जी ने पर्वत से संजीवनी बूटी लाने को कहा वीर हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए निकल पड़े रास्ते में रावण के राक्षसों द्वारा उनका रास्ता रोका गया। लेकिन सभी असफल हुए वीर हनुमान संजीवनी बूटी ले आएं। और वैद्य द्वारा लक्ष्मण को संजीवनी बूटी दी गई। लक्ष्मण चेतनावस्था में आ गए। एक बार फिर लक्ष्मण और मेघनाथ का घोर युद्ध हुआ और लक्ष्मण द्वारा मेघनाथ का वध किया गया। मेघनाथ का वध होते ही मेघनाथ की पत्नी सती सुलोचना द्वारा करुण विलाप किया गया। फिर सती सुलोचना अपने ससुर रावण की आज्ञा लेकर राम दल पहुंचीं। और भगवान राम से मेघनाथ का शीश मांगा। जिसे सम्मानपूर्वक दिया गया। अपने पति के शीश के साथ सुलोचना अग्नि में सती हो गई। वही रावण ने सम्मोहन विद्या द्वारा पाताल लोक से अपने पुत्र अहिरावण को बुला लिया। और अहिरावण द्वारा रामा दल पहुंचकर विभीषण का रूप बनाकर रात्रि में चुपके से राम और लक्ष्मण का हरण कर लिया गया। और अहिरावण उन्हें लेकर पाताल लोक गया। जहां देवी के सामने राम लक्ष्मण की बलि देने की तैयारी शुरू हुई तभी विभीषण द्वारा हनुमान को बताया गया की राम और लक्ष्मण राम दल में नहीं है। और उनका भेष बनाकर अहिरावण ही आया है जो राम लक्ष्मण को चतुराई से हरण कर ले गया है। तुरंत वीर हनुमान पाताल लोक पहुंचे। और देवी की जगह पर स्वयं बैठ गए पूजा अर्चना के बाद जैसे ही राम लक्ष्मण की बलि देने ही वाली होती है। वैसे ही वीर हनुमान सामने आ गए और अहिरावण का वध करके राम लक्ष्मण को पुनः रामा दल ले आए भगवान राम को देखकर सभी वीर बंदर भालू अधिक प्रसन्न हुए और राम के जयकारे लगाएं। लंका के महाराज रावण और राम से युद्ध करने के लिए युद्ध भूमि में पहुंचें। राम और रावण का घोर युद्ध हुआ और अंत में राम द्वारा रावण के नाभि में तीर चला कर रावण को धराशायी कर दिया गया। वही रावण का वध होते ही दर्शकों द्वारा राम के जय कारें लगाएं। इस मौके पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह, उपाध्यक्ष उदय भान सिंह और पंडित सुधीर शुक्ला, कोषाध्यक्ष आशीष साहू, उपकोषाध्यक्ष विक्रम सिंह ,महामंत्री महेंद्र छोटू केसरी, मंत्री पूरन सिंह, महेंद्र सिंह, शिव भोला ,लल्लन राठौर, करण सोनी, विनोद शर्मा सहित सभी पदाधिकारी और सभी सदस्य तथा हजारों की संख्या में भक्त मौजूद थे। थारियावं थाना प्रभारी अरविंद कुमार राय एवं हसवा चौकी इंचार्ज सुमित देव पाडेय भारी पुलिस फोर्स के तैनात रहे।
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