उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि भूमि एवं बीजशोधन अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। किसान भाइयो फसलों को प्रतिवर्ष खरपतवारों, रोगों, कीटों तथा चूहों आदि से अनुमानतः 15 से 20 प्रतिशत की क्षति होती है। खरपतवारों के बाद सबसे अधिक क्षति रोगों से होती है। कभी-कभी रोग महामारी का रूप ले लेते हैं जिसमें शत-प्रतिशत फसल नष्ट हो जाती है। फसलों में रोगों का प्रसार मुख्यता बीज, मृदा, वायु, जल एवं कीटों के द्वारा होता है। बीज / भूमि जनित रोगों से बचाव हेतु कृषक भाई रबी 2024-25 में बोई जाने वाली फसलों में बीज एवं भूमिशोधन करके अपनी फसलों को सुरक्षित कर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते है। जिससे कृषकों की आमदनी बढ़ेगी और आर्थिक स्थित सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी। बीजशोधन के लिए राजकीय कृषि रक्षा इकाईयों पर ट्राइकोडरमा हरजेनम / ब्यूबेरिया वैसियाना जैसे बायोपेस्टीसाइड्स 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है। प्रयोग विधि :- 4 से 5 ग्राम ट्राइकोडरमा हरजेनम / ब्यूबेरिया वैसियाना पाउडर से प्रति किग्रा बीज को शोधित कर छाया में 3-4 घंटे सुखाकर बुआई करनी चाहिए अथवा अन्य फफूंदनाशी रसायन कार्बेन्डाजिम 50% WP/ थीरम 75% WS की 2 ग्राम एवं क्लोरपाइरीफास 20% EC की 5 मिलीग्राम से प्रति किग्रा बीज को शोधित कर छाया में 3-4 घंटे सुखाकर बुआई करनी चाहिए।
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