उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिलाधिकारी रविन्द्र सिंह के निर्देशानुसार आकांक्षी जनपद में पिछले 2 वर्षों से नीति आयोग, भारत सरकार, वैन लीर फाउंडेशन, एवं विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी के सहयोग से संचालित जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना के विस्तारीकरण हेतु परियोजना की कार्य प्रगति समीक्षा बैंठक कलेक्ट्रेट महात्मा गाँधी सभागार में सम्पन्न हुई। जिसमे परियोजना के प्रारंभ से लेकर वर्तमान तक क्रियान्वित की गई समस्त गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस बैठक में मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीना, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव नयन गिरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी आई० सी ० डी ० एस ० साहब यादव , जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भारती त्रिपाठी, वरिष्ठ प्रबंधक विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी सत्य गोपाल डे, जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग, स्वास्थ्य एवं पोषण विषेशज्ञ सोनल रूबी रॉय, फील्ड सुपरवाइजर अनुराग सिंह  ने प्रतिभाग किया। बैठक के दौरान जिला कार्यक्रम समन्वयक  अनुभव गर्ग ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से जिला प्रशासन को फतेहपुर उत्तर प्रदेश में संचालित परियोजना की गतिविधियों एवं प्राप्त अनुभवों और सीखों को साझा किया। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत संवेदनशील परवरिश और सीखने के अवसरों पर आधारित प्रशिक्षणों ने विभागीय अधिकारियों और जमीनी स्तर पर कार्यरत कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया है। इन प्रशिक्षणों के परिणामस्वरूप समुदाय का विश्वास स्वास्थ्य, पोषण, और टीकाकरण जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है। परियोजना के अंतर्गत संवेदनशील परवरिश एवं सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए 130  आँगनबाड़ी केंद्रों  के सौन्दर्यीकरण, मरमम्त के  साथ-साथ बच्चों के खेल-खेल में सीखने हेतु अनेकों नवाचार किये जा रहे है। ज़िले में 13 हाई टच एवं 125 मीडियम टच आँगनवाड़ी केंद्रों में 340 ट्रिपल ए (आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों , ए ० एन ० एम ० , आशा कार्यकत्रियों ) को 182 जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनरों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा चुका है साथ ही 2769 अन्य लो टच आँगनबाड़ी केंद्रों में 6500 से अधिक जमीनी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किये जाने का कार्य प्रगति पर है। भारत में नई शिक्षा नीति के अनुसार बच्चों के बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक, भाषात्मक एवं भावनात्मक विकास के लिए गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष तक का समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है जिस अवधि में उनके मस्तिष्क का 85 प्रतिशत तक विकास हो जाता  है, और आँगनबाड़ी केंद्र पर प्रवेश से पूर्व घर पर व पूर्व प्राथमिक शिक्षा में  प्रवेश के बाद उन्हें सीखने के अवसर प्रदान करने के मूल उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए समुदाय में माता-पिता एवं देखभालकर्ताओं को प्रेरित करने के लिए पिछले 2 वर्षों से भी अधिक समय से परियोजना के माध्यम से नवाचार किये जा रहे हैं। साथ ही ज़िले में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र को भी बाल हितैषी बनाने प्रस्ताव रखा गया है। जिसके अंतर्गत जिला अस्पताल में संचालित इस स्वास्थ इकाई को मॉडल बाल संवेदनशील पोषण पुनर्वास केंद्र के रूप रूपांतरित करने की भी योजना है। समीक्षा बैठक के दौरान जिलाधिकारी रविन्द्र सिंह के द्वारा परियोजना के क्रियान्वयन में सुधार हेतु महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए जिसमें परियोजना अंतर्गत प्रशिक्षण सामग्री में शासन द्वारा दी जा रही निःशुल्क सेवाओं को प्रमुखता के साथ प्रचारित करने को कहा गया, साथ ही परियोजना के विस्तारीकरण के अंतर्गत ज़िले के 6500 से अधिक कार्यकर्ताओं को संवेदनशील परवरिश एवं सीखने के अवसरों को बढ़ने के लिए मासिक समीक्षा बैठकों के दौरान ही क्षमता अभिवृद्धि करने हेतु सहमति जताई।
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