उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के विकास खंड हसवा कस्बे के स्वामी चंद दास जी महाराज की कुटी के ब्रह्मलीन 1008 स्वामी त्रिलोकी दास जी 17वीं पुण्यतिथि के अवसर पर कुटी परिसर में पूजा अर्चना के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने माथा टेका। कुटी परिसर के सामने खेलकूद पार्क में एक दिवसीय धनुष यज्ञ रामलीला का आयोजन भी किया गया। जिसमें आसपास के सैकड़ों गावों के लोगों की भीड़ रामलीला देखने के लिए उमड़ी। जिसमें गैर जनपदों के सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा अभिनय किया गया। शनिवार रात भगवान राम की आरती के बाद लीला का अभिनय किया गया। भगवान राम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र की आज्ञा अनुसार संध्या वंदन किया। उधर जनकपुरी में सीता स्वयंवर की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थी। जनकपुरी आने के लिए दूर-दूर के राजाओं- महाराजाओं को सीता स्वयंवर का निमंत्रण भेजा गया। सीता स्वयंवर का निमंत्रण मिलने के बाद अपने गुरु के साथ भगवान राम और लक्ष्मण भी जनकपुरी पहुंचे। उधर पेटू राजा को भी स्वयंवर का निमंत्रण मिला पेटू राजा के हास्य व्यंग्य से सभी दर्शक हंसते हंसते आनन्दमय हुए। वही लंका नरेश रावण भी सीता स्वयंवर में पहुंचें। और जनकपुरी में रावण और बाणासुर का संवाद हुआ। इसके बाद एक-एक करके सभी राजा महाराजा जनकपुर में धनुष को उठाने का प्रयास करते हैं। लेकिन कोई भी धनुष को नहीं उठा पाएं । यहां तक की दस हजार राजा महाराजा ने एक साथ मिलकर धनुष उठाने का प्रयास किया। लेकिन सभी असफल रहें। तभी राजा जनक अधिक भावुक हो जाते हैं । और कहते हैं कि पृथ्वी पर कोई भी ऐसा वीर पुरुष नहीं जो स्वयंवर की शर्त को पूरा कर सकें। राजा जनक की बात सुनकर लक्ष्मण क्रोधित हुए और कहते हैं कि अगर गुरु और बड़े भाई की आज्ञा मिल जाए तो धनुष क्या पूरे ब्रह्मांड को गेंद की तरह फेंक दूं । तभी गुरु की आज्ञा पाकर भगवान राम धनुष को उठाकर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाते हैं । धनुष दो भाग में टूट जाता है सीता ने राम को जयमाला पहनाई राम- सीता के विवाह पर दर्शकों ने जय कारें लगाएं। और इस बीच श्रदालुओं ने राम- सीता की पूजा अर्चना करते हुए आरती भी की गई। उधर पर्वत में तपस्या कर रहें परशुराम वायु के वेग से जनकपुरी पहुंचें। वह राजा जनक से धनुष को तोड़ने वाले का नाम पूछते हैं। भगवान परशुराम कहते हैं कि धनुष तोड़ने वाले को समाज से अलग कर दो नहीं तो सभी राजा एक साथ मारे जाएंगें। परशुराम की बात सुनकर लक्ष्मण उनसे संवाद करने लगते हैं । और देखते ही देखते लक्ष्मण और परशुराम का संवाद सुबह 11बजे तक चला वही राम आगे आकर परशुराम से लक्ष्मण की बातों के लिए क्षमा मांगते हैं। राम की बातों -बातों में परशुराम पहचान जाते हैं कि भगवान राम विष्णु का अवतार है। और वह स्वयं भगवान राम से क्षमा मांगते हैं। इस मौके पर सैकड़ों लोगों ने रामलीला देख कर आनन्दित हुए। संचालक समाजसेवी नैन सिंह ने बताया कि स्वामी तिलोकी दास 17 पुण्यतिथि के अवसर पर हर वर्ष एक दिवसीय रामलीला का मचंन किया जाता हैं।
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