उत्तर प्रदेश फतेहपुर आज, बिलंदपुर लाइटहाउस आँगनबाड़ी केंद्र में ग्राम प्रधान रेखा देवी और आँगनबाड़ी कार्यकर्ता नीलम देवी ने विश्व कहानी कहने का दिवस मनाया। उन्होंने मॉडल आँगनबाड़ी केंद्र में बनाए गए कहानी के कोने एवं बाहरी बाउंड्री वॉल पर रंगीन चित्रों के माध्यम से बच्चों को कहानियाँ सुनाईं। 20 मार्च को संपूर्ण विश्व में कहानी कहने का दिवस मनाया जाता है। यह मौखिक कथाओं की कला का उत्सव है, जिसे “जीवन के प्रथम 1000 दिवस” परियोजना के अंतर्गत ज़िले की अनेक आँगनबाड़ी  केंद्रों में मनाया गया। इस मौके पर ग्राम प्रधान के साथ स्वास्थ्य एवं पोषण विषय विशेषज्ञ सोनल रूबी राय भी उपस्थित रहीं। बच्चों ने रंगीन चित्रों के माध्यम से कहानियाँ सुनीं और ढेर सारे सवाल भी पूछे। परियोजना के वरिष्ठ जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं सलाहकार अनुभव गर्ग ने बताया कि कहानी कहने की परंपरा संचार के सबसे प्राचीन रूपों में से एक है। यह अनुभव, संस्कृति, इतिहास और कल्पना को साझा करने का एक प्रभावशाली तरीका है। वर्ल्ड स्टोरी टेलिंग डे को मनाने की शुरुआत साल 1990 में स्वीडन में हुई थी. इसके बाद धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में सेलिब्रेट होना शुरू हो गया. वर्तमान में इस दिन को 100 से ज्यादा देशों में मनाया जाता है. यह दिन कई भाषाओं में कहानी कहने की कला का उत्सव है. सबसे पहली बार स्टोरी टेलिंग का प्रोग्राम कनाडा में रखा गया था जिसकी एक थीम भी तय की थी. फिलहाल इस दिन को कई स्कूलों, पुस्तकालयों और संगठनों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है । विश्व कहानी कहने का दिवस 1991 में स्वीडन में “अल्ला बेरत्तारेस डैग” (सभी कहानीकारों का दिवस) के रूप में शुरू हुआ था। यह जल्द ही नॉर्डिक देशों में फैल गया और 2003 तक उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया और अन्य देशों में एक वैश्विक आयोजन बन गया। इस वर्ष विश्व कहानी कहने का दिवस 2025 की थीम “गहरा जल” पर आधारित थी। इस थीम के तहत, कहानियाँ जल की गहराइयों का अन्वेषण करेंगी—सचमुच और रूपक रूप में भी। इसमें महासागर के रहस्यों, पौराणिक जल-प्राणियों, विभिन्न संस्कृतियों में जल के महत्व, या भावनात्मक गहराइयों की कहानियाँ शामिल हो सकती हैं। यह दिन दुनिया भर की लोककथाओं में जल की भूमिका को मनाने का अवसर है। ग्राम प्रधान रेखा देवी, जिन्हें हाल ही में उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों के लिए 5 मार्च 2025 को नई दिल्ली स्थित कनाडा उच्चायोग कार्यालय में “शी लीड्स: सब-नेशनल स्तर पर महिलाओं का राजनीतिक नेतृत्व” कार्यक्रम में सम्मानित किया गया था, ने कहा कि कहानी कहना सिर्फ मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह एक अनिवार्य मानवीय परंपरा है जो जुड़ाव, सीखने और सहानुभूति को बढ़ावा देती है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी साहब यादव ने बताया कि विश्व कहानी कहने का दिवस 2025 हमें यह याद दिलाता है कि कहानियों की शक्ति असीमित है। इस साल की थीम “गहरा जल” हमें हमारी जड़ों, भावनाओं और पर्यावरण से जुड़े किस्सों को तलाशने के लिए प्रेरित करती है। बाल विकास परियोजना अधिकारी कन्हैया लाल ने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं मुख्य सेविकाओं को इस प्रकार के उत्सव मनाने के लिए प्रेरित किया और कहा कि डिजिटल युग में कहानी कहने की सीमाएँ समाप्त हो गई हैं। इस अवसर पर विभिन्न संस्कृतियों की कहानी कहने की परंपराओं पर भी चर्चा हुई। भारत की कथक कला, अफ्रीका की ग्रियोट परंपरा, आयरलैंड की सेल्टिक पौराणिक कथाएँ, जापान की राकुगो कला और मूल अमेरिकी जनजातियों की मौखिक कहानी कहने की परंपराएँ सदियों से चली आ रही हैं। बाल विकास परियोजना अधिकारी हसवा अरविंद कुमार ने बच्चों को कहानियाँ सुनाने के लिए प्रेरित किया और बताया कि बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए उन्हें कहानियाँ बनाने और सुनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए—चाहे वह चित्रकारी, अभिनय या मौखिक प्रस्तुति के माध्यम से हो। इस प्रकार, विश्व कहानी कहने का दिवस एक वैश्विक आयोजन बनकर सभी को जोड़ने और प्रेरित करने का कार्य करता है।
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