उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के हथगाम विकास खंड क्षेत्र के अन्तर्गत सिठौरा गाँव में श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन के तीसरे दिन कथा वाचक ने बताया कि भगवान के चरित्र के माध्यम से दैहिक, दैविक और भौतिक कष्ट का निवारण हो सकता है। कथा का आयोजन देर रात तक निरंतर चल रहा है। आसपास के सैकड़ो श्रोताओं की भीड़ पहूंचती है। कथा वाचक बी.एल .शास्त्री ने श्रोताओं को बताया कि भगवान के चरित्र के अनुकरण से दैहिक ,दैविक और भौतिक कष्टों का निवारण हो सकता है। उन्होंने समाज में व्याप्त मानव कर्म की व्याख्या करते हुए बताया कि समाज में मानव कर्म क्या है लोग धीरे-धीरे भूल गए। उन्होंने कहा नींद आई लोग सो गए। और भूख लगी खा लिए। जब तक शुद्ध आहार नहीं होगा। तब तक विचारों में शुद्धता लाना बहुत कठिन है। आचार्य जी ने ज्ञान की व्याख्या करते हुए बताया कि ज्ञान परमात्मा का दूसरा स्वरूप स्वरूप है।”ज्ञानान्ने न रितम् मुक्ति” ज्ञान के बिना इस संसार में कुछ भी करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भागवत हमें जीने की कला सिखाता है। श्रीमद् भागवत कथा का व्याख्या करते हुए बी एल शास्त्री प्रयागराज, आचार्य शिवम शास्त्री वृंदावन ,आचार्य शिवपूजन मिश्र, आचार्य अजय शुक्ल द्वारा किया जा रहा है ।श्रीमद् भागवत कथा के आयोजक आशा पाल सिंह चौहान ने बताया भागवत कथा 26 मार्च को पूर्ण आहुति और भंडारे के साथ ही समाप्त होगा।
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