उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले मे उर्स-ए-जलालुद्दीन शाह नक्शबंदी रह. खानकाह-ए-इफहामिया नरौली शरीफ में रात को जलसा तथा दिन में सुबह कुरआन ख्वानी, संदल, गुस्ल, चादर गागर पेश किया गया।शायरों ने नातिया कलाम पेश किए तो मौलाना ने तकरीर की। उर्स हजरत अजमत शफी मियां उर्फ हाशिम हुसैन सिद्दीकी की अगवई में हुआ। हजरत के दोनों साहबजादे हसन मियां और हसनैन मियां ने भी कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और मेहमानों का खास खयाल रखा। कार्यक्रम का संचालन हाफिज अब्दुर्रहमान फतेहपुरी ने की और आला हजरत इमाम अहमद रजा खां का मशहूर कलाम पढ़ा। मुरीद-ए-खास कवि एवं शायर डॉक्टर वारिस अंसारी द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार कुरान ख्वानी के बाद महफिले मीलाद हुई जिसकी शुरुआत मुफ्ती वसीम मरकजी ने कुरआन की तिलावत से की।नात गो हाफिज शमशाद ने पढ़ा-चमक इससे पाते हैं सब पाने वाले, मेरा दिल भी चमका दे चमकाने वाले, बरसाता नहीं झूमकर अब्र-ए-रहमत, बदों पर भी बरसा दे बरसाने वाले।मौलाना शादाब रजा ने अपनी सुरीली आवाज से सामईन को खूब मुतासिर किया-जिंदगी दी है तो जीने का करीना दे दे,मेरे आका मुझे रहने को मदीना दे दे, क्या करूंगा मैं गुलाब और चमेली लेकर, मुझको दो बूंद मोहम्मद का पसीना दे दे।मौलाना अरमान रजा ने पढ़ा-जो यादे मुस्तफा के दिल को बहलाया नहीं करते, हकीकत में वो लुत्फ़-ए-जिंदगी पाया नहीं करते कार्यक्रम के नाजिम हाफिज अब्दुर्रहमान पढ़ा-सबसे आला व आला हमारा नबी,सबसे बाला व बाला हमारा नबी, कौन देता है देने को मुंह चाहिए, देने वाला है सच्चा हमारा नबी। अपनी तकरीर में मौलाना वसीम मरकजी ने वलियों और सूफी संतों की तारीफ बयान की। उन्होंने कहा कि अल्लाह का वली वह है जो खुद भूखा रह कर भी दूसरों को खिलाता है। अल्लाह के वली जात-पात, उच्च-नीच, अमीरी-गरीबी से ऊपर उठकर काम करते हैं और लोगों की सेवा करना उनका खास मकसद होता है। अंत में मोइन लखनवी की कव्वाली के साथ चादर और गागर का गस्त हजरत जलालुद्दीन मियां की बारगाह में पहुंचा। राजदारे हरम हो, निगाहे करम हम गरीबों के दिन भी संवर जाएंगे आदि अनेक नातिया कलाम सुनाकर कव्वाल ने महफिल को गुलजार कर दिया। इस अवसर पर डॉक्टर वारिस अंसारी, कवि एवं शायर शिव शरण बंधु हथगामी, मुस्तफा खान, आजाद इफ़हामी कानपुर, शमीम बीजापुर, आसिफ चन्द्रपुर, पप्पू खान चन्द्रपुर,नउस्मान कोलकाता, मसूद मुम्बई, अरशद कानपुरी, रफीक मूसानगर, यूनुस छत्तीसगढ़, हबीब अहमद कौशांबी, मो.आसिफ महाराष्ट्र,चमनिस्तान बनारस, ननकू प्रजापति, लवकुश सोनी महाराष्ट्र, हाशिम हबीबी, रमेश चंद्र, रफी अहमद कानपुरी, मुख्तार अहमद आदि अनेक मुरीद दूर दूर से आए थे। लंगर-ए-आम अर्थात विशाल भंडारे के साथ उर्स मुबारक संपन्न हुआ। हजरत सैयद शाह मंगरे बाबा का उर्स 27 को हथगाम क्षेत्र के मंगरेमऊ का 38 वां सालाना उर्फ मुकद्दस 27 अप्रैल को होगा। इसकी जानकारी उर्स कमेटी के अध्यक्ष महबूब आलम एवं प्रधान मोहम्मद हसन ने दी है। अध्यक्ष ने बताया कि रात नौ बजे से कव्वाली का कार्यक्रम होगा जिसमें बदायूं के नईम साबरी और जौनपुर की गुड़िया परवीन कलाम पेश करेंगे। सुबह दस बजे कुरआन ख्वानी और चार बजे गागर शरीफ होगा। मालूम हो कि रहमत उल्लाह अलैह मंगरेमऊ के उर्स मुबारक में बहुत बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाओं की भीड़ होती है जिसको देखते हुए पुलिस का अच्छा खासा बंदोबस्त रहता है। अकीदतमंद मजार पर चादरें भी चढ़ाते हैं।
नोट:- पूरे महीने का विज्ञापन बुक कराए कम कीमत में सम्पर्क करें। 9044684414

By