उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले में कम नामांकन वाले प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद किए जाने के विरोध में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा भारतीय विद्यार्थी मोर्चा और भारत मुक्ति मोर्चा द्वारा राज्यपाल को संबोधित डीएम के माध्यम से ज्ञापन दिया गया।इसके पहले प्रदर्शन कर योजना का विरोध किया गया। नेतृत्व डॉ फूल सिंह लोधी ने किया। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों में कम नामांकन वाले प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को आपस में पेयरिंग अथवा मर्जिंग करने का निर्णय लिया गया है। जिसका शिक्षकों,विद्यार्थियों एवं ग्रामीण जनता द्वारा व्यापक विरोध किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में शिक्षा का ढांचा बहुत हद तक ग्रामीण विद्यालयों पर टिका है। ये विद्यालय न केवल बच्चों को अक्षर ज्ञान देते हैं,बल्कि समाज के सबसे निचले तबके के लिए एकमात्र शैक्षणिक आशा भी हैं लेकिन बीते कुछ वर्षों से राज्य सरकार द्वारा कम छात्र संख्या के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों को पेयरिंग अथवा मर्जिंग अथवा बंद किया जा रहा है। यह निर्णय शासन की दृष्टि में भले ही तर्क संगत लगे लेकिन इससे सामाजिक और शैक्षणिक दुष्परिणाम बहुत गंभीर होंगे।भारतीय संविधान में हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार प्रदान किया है। ज्ञापन में कहा गया है कि अनुच्छेद 21 ए और आरटीई एक्ट 2009 के अनुसार निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा,नजदीकी विद्यालय की उपलब्धता राज्य की जिम्मेदारी है।विलय के बाद नए विद्यालय दूर होंगे जिससे छोटे बच्चों को पैदल या सुरक्षित साधनों से आना जाना पड़ेगा।विशेष कर बालिकाएं दूरस्थ विद्यालयों तक पहुंचने में असमर्थ होंगी जिससे उनकी पढ़ाई छूट सकती है। असुरक्षा के कारण कई बच्चे विद्यालय जाना बंद कर सकते हैं जिससे ड्रॉप आउट दर बढ़ेगी।बच्चों को नए वातावरण में ढलने में दिक्कत होगी और उनका आत्मविश्वास तथा मनोबल प्रभावित हो सकता है।बार-बार विद्यालय बदलने से शिक्षकों को अपने काम में स्थायित्व महसूस नहीं होगा जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।माता-पिता बच्चों को दूर भेजने को लेकर चिंतित रहेंगे खासकर प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए। कहा गया कि प्राथमिक विद्यालयों की संख्या कम होती गई तो भविष्य में शिक्षकों की जरूरत भी घटेगी। इससे हजारों बीएड,डीएलएड धारक युवाओं का सपना अधूरा रह जाएगा। शिक्षित बेरोजगारों की संख्या और बढ़ेगी जिससे सामाजिक असंतोष उत्पन्न हो सकता है। ज्ञापन में सुझाव दिया गया कि नामांकन बढ़ाने की योजना चलाई जाए। शिक्षकों और संसाधनों को बढ़ाया जाए।जागरूकता अभियान चलाकर अभिभावकों को अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।डिजिटल शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत किया जाए।प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय के मर्जिंग के निर्णय को तत्काल प्रभाव से स्थगित तथा निरस्त किया जाए।
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