उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के ऐरायां ब्लॉक क्षेत्र के अन्तर्गत मंडवा सादात में शिया मौलाना ने मोहर्रम के सिलसिले की एक मजलिस में कहा कि जब हम तारीखे इंसानियत पर नज़र डालते हैं। तो वाहिद ऐसी शख्सियत जिनका किरदार और पैगाम सिर्फ़ एक क़ौम या एक मज़हब के लिए मख़सूस नहीं है।बल्कि पूरी दुनिया के लिए मशअले राह बनता है।करबला के सर ज़मीन पर जो वाकया पेश आया वह महज़ एक मज़हबी सानेहा नहीं था बल्कि इंसानी तारीख का एक ऐसा बाब है। जिसमे हक़ और बातिल,अद्ल और जुल्म तथा सच्चाई और फ़रेब के दरमियान वाज़ेह फ़र्क़ पैदा किया गया। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने यज़ीदी हुकुमत की बैयत न करके ये साबित किया कि बातिल के साथ किसी भी सूरत में समझौता मुमकिन नहीं।उनकी ये कुर्बानी सिर्फ़ मुसलमानों के लिए नहीं थी बल्कि पूरे इंसानियत को एक पैगाम देती है। जुल्म के खिलाफ़ खामोश मत रहो चाहे कीमत जान की ही क्यों न चुकानी पड़े।दुनिया के बड़े रहनुमाओ ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से दर्स हासिल किया और अपने मकसद में कामयाब रहे जैसे हमारे मुल्क भारत को आज़ाद कराने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी,हुकुमते इस्लामी ईरान के बानी हज़रत इमाम ख़ुमैनी र.अ और अभी ईरान के मौजूदा सुप्रीम लीडर हज़रत सैयद अली हुसैनी ख़ामेनई साहब ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के नक्शे क़दम पर चल कर यह साबित किया कि बातिल चाहे कितना भी मज़बूत क्यों न हो उसके सामने किसी भी कीमत पर सर नहीं झुकाना चाहिए। इंसान को बेदार तो हो लेने दो।हर कौम पुकारेगी हमारे है हुसैन।इस मजलिस को मंड़वा सादात के बड़े इमाम बाड़े शिया असना अशरी मे ईरान में रहकर पढ़ाई करके लखनऊ के रहने वाले मौलाना मूर्तुज़ा हुसैन रिज़वी ने ख़िताब किया।बाद मजलिस प्रयागराज से आये मोहम्मद रज़ा ने नौहा पेश किया।हृदय मे जगह पाते जीवन में समा जाते। शब्बीर मदीने से भारत में जो आ जाते। इस मजलिस में हर शहर से फतेहपुर,कानपुर, प्रयागराज लखनऊ, ऊंचाहार, मानिकपुर आदि जगह से भारी संख्या के साथ अहमद रज़ा, तालिब रज़ा, मुख़्तार अस्करी, मिल्लन रज़ा, विक्की, मुन्ना, लविश, नय्यर, ज़ैगम, इमरान, हैदर अब्बास, आसिफ आदि लोग मौजूद रहे।
नोट:- पूरे महीने का विज्ञापन बुक कराए कम कीमत में सम्पर्क करें। 9044684414
