उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले की खागा कोतवाली क्षेत्र में स्थित हरदो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बराबर सुर्खियों में बना रहता है। डॉक्टर मरीज़ का इलाज तो करते हैं लेकिन दवाओं का हमेशा टोटा बना रहता है। एक दवा अस्पताल से तो दो दवाएं बाहर से लेना मरीज़ की मजबूरी है। एक तरफ जहां सरकार जनता की स्वास्थ् के प्रति गम्भीर है तो वही ज़िम्मेदार उतने ही लापरवाह सरकार स्वास्थ से संबंधित सुविधाओ के लिए समय समय पर नई गाइडलाइन जारी करती रहती है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारीयो पर इसका कोई असर नही होता है। गरीब जनता जहाँ गांव देहात से ईलाज करवाने के लिए अस्पताल आती है।

लेकिन दवाएं बाहर से ही लेनी पड़ती है। कर्मचारी मरीज़ से सीधे मुँह बात भी नही करते हैं। और ऊपर से कुछ कहने पर बदज़ुबानी अलग करते है। चिकित्सा अधीक्षक अपने चेंबर में बहुत ही कम मिलते है। जिससे शिकायत का निवारण नहीं हो पाता है।अस्पताल खुलने का समय प्रातः10:00 बजे है लेकिन अधिकांश कर्मचारी 11:00 बजे तक आते हैं। चीफ फार्मेसिस्ट से मेडिसिन के बारे में पूछा जाता है तो सीधी तरह से बता नही करते है। बताते है कि मुझे नही मालूम दवा कब तक आयेगी। जब मेडिसिन का मुखिया ही ऐसी बात बोलेगा तो सही बात कौन बताएगा दवाएं आती तो हैं जाती कहां है जनता को मिलती क्यों नही है ? इस तरह के बहुत से सवाल है जिनका कोई जवाब देने वाला नही है। यह कैसा खेल है जिसमे अधिकारी अपनी आंखे बंद किए हुए है। आम जनता शिकायत करें तो किससे करें? कोई सुनने वाला नहीं है।

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