उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के हसवा कस्बे में श्री स्वामी चंद दास जी महाराज की कुटी हसवा के बगल के रामलीला मैदान में श्री स्वामी चंद दास रामलीला कमेटी हसवा द्वारा 226 वें वर्ष ऐतिहासिक 10 दिवसीय रामलीला के दूसरे दिन रविवार रात अलग-अलग जनपद से आए हुए कलाकारों द्वारा धनुष यज्ञ लीला का सुंदर मंचन कराया गया। हजारों की संख्या में भक्तों ने धनुष यज्ञ की सुंदर लीला का मंचन देखा गया। जिसमें आसपास के सैकड़ों लोगों की भीड़ मौजूद हुई। रामलीला की शुरुआत में गुरु की आज्ञा का भगवान राम और लक्ष्मण संध्या वंदन करते हैं इधर जनकपुरी में सीता स्वयंवर की सभी तैयारी पूर्ण हो जाने के बाद स्वयंवर में आने के लिए देश-विदेश के राजाओं को सूचना दी गई। वही जनकपुरी से स्वयंवर की सूचना मिलने के बाद गुरु के साथ राम लक्ष्मण जनकपुरी पहुंचे। स्वयंवर की सूचना पेटू राजा को भी मिली और वह प्रसन्न होकर स्वयंवर के लिए चल दिए ।बाणासुर सीता स्वयंवर में पहुंचे। मिथिला नरेश जनक द्वारा उनका स्वागत किया गया। और उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी गई। कि स्वयंवर में किसी तरह का भी विघ्न न आने पाए। उधर लंका नरेश रावण भी सीता स्वयंवर में पहुंचे। जहां बाणासुर और रावण में तीखा संवाद हुआ दर्शकों ने बड़े ही ध्यान पूर्वक संवाद को सुना। इसके बाद एक-एक करके देश-विदेश के राजा महाराजाओं ने धनुष को उठाना चाहा। लेकिन कोई भी वीर धनुष को हिला तक नहीं पाया। इसके बाद सैकड़ो की संख्या में राजा मिलकर धनुष को हिलाने कोशिश करते हैं । लेकिन तनिक भी हिला नहीं पाए। राजा जनक ने जब ऐसा देखा कि कोई भी वीर धनुष को हिला तक नहीं पाया। तब वह अधिक निराश हुए और कहते हैं लगता है पृथ्वी वीरों से खाली हो गई। है कोई भी वीर ऐसा नहीं है जो स्वयंवर की शर्त को पूरा कर सके। राजा जनक की बात सुनकर लक्ष्मण अधिक क्रोधित हुए। उन्होंने कहा कि अगर गुरु और बड़े भैया राम की आज्ञा मिल जाए तो धनुष क्या पुरी जनकपुरी को एक ही फूंक में उड़ा दूंगा । वही गुरु की आज्ञा पाकर भगवान राम ने जैसे ही धनुष को उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाया वैसे ही धनुष दो भाग में टूट गया धनुष के टूटते ही सीता ने राम को वरमाला पहनाई और सखियों ने बधाई गीत गाना शुरू कर दिया। तथा भक्तों ने भगवान राम की आरती उतारी और जयकारे भी लगाए। उधर धनुष टूटते ही भगवान परशुराम वायु के वेग से जनकपुरी पहुंचे और राजा जनक से भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाले का नाम पूछने लगे। कहा धनुष तोड़ने वाले को समाज से अलग कर दो नहीं तो पुरी जनकपुरी एक पल में नष्ट कर दूंगा। भगवान परशुराम की बात सुनकर लक्ष्मण अधिक क्रोधित हुए और देखते ही देखते भगवान परशुराम और लक्ष्मण में तीखा संवाद शुरू हो गया। जिसका दर्शकों ने पूरा आनंद लिया संवाद धीरे-धीरे बढ़ते हुए सुबह लगभग 10 बजे तक चला अधिक क्रोधित होकर परशुराम लक्ष्मण का वध करने के लिए आगे बढ़े वैसे ही भगवान राम ने लक्ष्मण द्वारा कहे गए तीखे शब्दों की भगवान परशुराम से क्षमा मांगी। वही भगवान परशुराम को ज्ञात हुआ कि राम भगवान विष्णु का अवतार है। स्वयं भगवान राम से क्षमा मांगने के साथ ही जनकपुरी से वापस चले गए । इधर भक्तों द्वारा भगवान राम के जयकारे लगाए गए।
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