शिक्षा के मंदिर में मासूम के साथ हैवानियत सुनकर कुछ अजीब तो ज़रूर लग रहा होगा। लगना भी चाहिए क्यो की अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा के मंदिर में शिक्षा ग्रहण करने भेजते है जिससे बच्चो का ( मुस्तकबिल ) भविष्य बन जाये। मगर जब शिक्षा के मंदिर में बैठे राक्षस रूपी मास्टर बच्चो का भविष्य बनाने के बजाए मासूम छात्र के जान का दुश्मन बन कर मारमार कर बच्चे का हाथ तोड़ कर अपाहिज बनाने का काम करने लगे तो मासूमो के अभिभावक शिक्षा के मंदिर में बैठे भगवान पर कैसे विश्वास करे।
पूरा मामला उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के गाजीपुर थाना क्षेत्र के सुकेती गाँव का है। जहाँ सुकेती गाँव निवासी जितेंद्र और उसके पुत्र शिवम की माने तो उसकी आर्थिक स्थित ठीक न होने के चलते अपने बच्चों को किसी प्राइवेट स्कूल में शिक्षा न दिलवा कर गाँव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में उसका नाम लिखवा दिया था। इस वर्ष जितेंद्र का पुत्र शिवम सुकेती प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पाँच में शिक्षा ग्रहण कर रहा था।
न जाने किस बात पर क्लास टीचर अशोक मासूम से इतना क्रोधित हो गए कि छात्र को पटक पटक कर इतना पीटा की मासूम का हाथ टूट गया। और हद तो तब हो गई जब मासूम का कोई इलाज भी नही करवाया। मासूम जब दर्द से कराहता हुआ घर पहुंचा तो मासूम का पिता जितेंद्र शिकायत करने स्कूल पहुंचा तो उसको धमकी देकर आरोपी मास्टर अशोक ने भगा दिया।
पीड़ित पिता अपने पुत्र शिवम को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा तो डॉक्टर ने छात्र का हाथ टूटा देखकर उसको जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जहाँ एक्सरा होने पर डॉक्टर ने बताया बच्चे की हाथ की कलाई की हड्डी टूट गई है। वही मामले की जानकारी पत्रकारों को हुई तो आरोपी मास्टर को फोन कर पत्रकारों ने बुलाया और गरीब छात्र के इलाज का खर्च वाहन करने के लिए कहा तो आरोपी मास्टर पत्रकारों पर ही भड़क गया और पत्रकारों पर ब्लैक मेल करने का आरोप लगा दिया।
इसी तरह के टीचरों की वजह से ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों की शिक्षा का अस्तर सुधारने के लिए बराबर प्रयास किये जा रहे है। फिर भी ज़िम्मेदारों का गैर जिम्मेदाराना रवइया सरकार की मनसा को पूरा नही होने दे रहा है।