उत्तर प्रदेश मुरादाबाद जामा मस्जिद पाक़बडा के पेश इमाम रहे काज़ी अली जान साहब की बरसी के मौके पर जामा मस्जिद पाकबड़ा में एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसमें मरहूम काज़ी अली जान साहब को याद करते हुए उनको खराजे अकीदत पेश की गई, और दुआयें मगफिरत के लिए तिलावते कलामुल्लाह पड़ा गया, प्रोग्राम की सदारत जामा मस्जिद के पेश इमाम काज़ी शम्मे आलम ने की,

आपको बताते चलें काज़ी अली जान साहब जैसी शख्सियत किसी परिचय की मोहताज नहीं है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी को मजहवे इस्लाम की खातिर लगा दिया, और पूरी जिंदगी इस्लाम के बताए रास्ते पर चलते हुए बढ़-चढ़कर लोगों की मदद भी की। वह जामा मस्जिद पाक़बडा के पेश इमाम रहे, और हमेशा भलाई के लिए काम करते रहे। उन्होंने जामा मस्जिद पाक़बडा को अपना इतना वक्त दिया कि वह आज भी हमारे दिलों में है। उनकी हर बात नसीहत के तौर पर हमें याद है, और उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर आज पाक़बडा के लोग फैज़ याब भी हो रहे हैं। मरहूम काज़ी अली जान साहब पाकबड़ा का एक ऐसा नाम रहा है, जिनके पीछे पाक़बरा की हर आवाज लब्बैक कहती थी।

काजी अली जान साहब पाकबड़ा जमा मस्जिद के पेश इमाम होने के साथ-साथ एक सामाजिक व्यक्ति भी थे, और समाज को एक अच्छी दिशा देने के लिए हमेशा काम करते रहे। उन्हों ने पाक़बरा को जो नसीहत दी उस नसीहत पर चलकर उनके चाहने वाले आगे बढ़ रहे हैं। आज इस विशाल ए कुल में उनको याद किया गया, खिराज ए अकीदत पेश की गई, और कहा गया की मरहूम काज़ी अली जान साहब मील का वह पत्थर रहे हैं जिन्होंने पाक़बरा को एक नई राह दिखाई, और सबके दिलों पर राज करते रहे। जो लोग भलाई के लिए काम करते हैं, जमाना उनको हमेशा याद करता है, आज इस 21 वे विशाल ए कुल के मौके पर हम सब गमगीन हैं और उन के लिए ख़ुदा से दुआ कर रहे हैं। कि मरहूम काज़ी अली जान साहब को जन्नत में आला से आला मुकाम मिले, और उनकी नसीहतें हमें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती रहे।

इस मौके पर शहर इमाम काज़ी शम्मे आलम, सैयद अलीमुल कादरी, कारी महफूज, मुफ्ती जब्बार, हाफिज तसव्वर, हाफिज अनवर, हाफ़िज़ दानिश,हाफिज हसरत, हाफिज मोहम्मद अली, हाफिज अली अकबर, मौलाना जरार, मौलाना जैनुल मुंशी लियाकत, शाहनवाज, परवेज़ सकलैनी हाजी शमसुद्दीन, नसीम अहमद हनीफ चिश्ती,सर्वर, फिरोज आलम, अली, रईस अहमद, कलमी आलम, मोहम्मद इरफान, रिजवान, हुसैन आदि लोग मौजूद रहे।

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