उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले में ऐतिहासिक कस्बे में श्री स्वामी चंद दास जी महाराज रामलीला मैदान में लगभग तीन वर्षों से भी अधिक पुरानी रामलीला के चौथे दिन भगवान राम वनवास लीला का मंचन बड़े ही सुंदर ढंग से किया गया। जिसे देखकर दर्शक भावुक हो गए। सीता स्वयंवर के बाद वापस अयोध्या पहुंचें गुरु विश्वामित्र, राजा दशरथ, भगवान राम ,सीता, भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न का भव्य स्वागत अयोध्या नगरी में किया गया। उधर महाराज दशरथ को यह आभास होता है कि उनका चौथापन आ गया है। अपने स्थान पर किसी अन्य को अयोध्या का राजा बनना पड़ेगा तभी महाराज दशरथ विचार हैं कि इस राजगद्दी पर राम के अलावा और कोई बैठने के योग्य पुरुष नहीं है। पूरे नगर में घोषणा कर दी गई कि जल्द ही राम को अयोध्या का राजा बनाया जाएगा। पूरे अयोध्या नगरी में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी लोग राम के राज्याभिषेक की तैयारी शुरू होतें ही चारों ओर मंगल गीत गाए जाने लगे। जब राम की राज्याभिषेक की बात कैकेई की सबसे प्रिय दासी मंथरा को पता चली तो वह व्याकुल हो गई। वह महारानी कैकेई से कहती है यही सही समय है राजा दशरथ से अपने दोनों वचन मांग लो। और पहले वचन में राम की जगह भरत का राज्याभिषेक तथा दूसरे वचन में राम को 14 वर्षों का वनवास पहले तो रानी कैकेई थोड़ा संकोच करती हैं। फिर वह बात मान लेती है। कैकेई कोपभवन में लेट जाती हैं। यह बात जब महाराज को पता चली तो वह मिलने जाते हैं। राम की सौगंध खाने के बाद कैकई उनसे दोनों वचन मांगती है। वचन सुनते ही महाराज दशरथ मूर्छित होकर गिर जाते हैं। और अंत में दोनों वचन दे देते हैं। पिता की आज्ञा पाकर राम वन के लिए तैयार हो जाते हैं। उनके साथ सीता और लक्ष्मण भी वन जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। जब अयोध्या वालों को पता चली तो पूरी अयोध्या में शोक की लहर दौड़ गई। सभी व्याकुल होकर भगवान राम के साथ-साथ गंगा किनारें पहुंचने के बाद भगवान राम विश्राम करते हैं। राजा दशरथ मंत्री सुमंत को राम को वापस लाने के लिए राम के पास पहुंचते हैं। और आग्रह करते हैं कि वन में अपने चरण रख दिए हैं। अब वापस राजमहल चलिए लेकिन राम कहते हैं कि पिता की आज्ञा है और वह 14 वर्षों के बाद ही राजमहल वापस आएंगे ।14 वर्षों तक किसी भी नगर में अपने कदम नहीं रखेंगे । क्योंकि रघुकुल की रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाएं। सुमंत अपनी सैनिकों के साथ वापस राजा दशरथ के पास राजमहल आते हैं और पूरी बात बताते हैं यह सुनकर राजा दशरथ व्याकुल हो जाते हैं । और बार-बार पुत्र राम राम कहकर मूर्छित हो जाते हैं। पूरी अयोध्या में शोक की लहर रहती है। यह देखकर दर्शक भी अधिक भावुक हो गए। दर्शकों के आखों में आसूं बह रहें थे।
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