उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के खागा तहसील के अन्तर्गत ऐरायां ब्लॉक के सुल्तानपुर घोष में पांच दिवसीय रामलीला का आयोजन किया गया। कस्बे के रामलीला परिसर में पांचवें दिन सीता स्वयंवर का भव्य रूप से आयोजन किया गया। सैकड़ों लोगो की भीड़ रामलीला देखने के लिए इकट्ठा हुई।जहां शिव धनुष टूटते ही सीता ने प्रभु राम को वरमाला पहनाई।इसके बाद लक्ष्मण एवं परशुराम संवाद हुआ। जिसे देखकर दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। रामलीला में प्रभु राम,भाई लक्ष्मण दोनों गुरु विश्वामित्र के साथ मिथिला नगर पहुंचे। जहां राजा जनक की फुलवारी में प्रभु राम की सीता माता से भेंट हुई। जिसके बाद पांचवें दिन दोनों राजकुमार गुरु विश्वामित्र के साथ सीता स्वयंवर में पहुंचे। जहां राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का विशाल धनुष रखा गया था।यह उद्घोषणा राजा जनक द्वारा की गई कि प्रत्यंचा चढ़ाने वाले के साथ सीता का विवाह होगा।स्वयंवर में रावण बाणासुर सहित तमाम बड़े-बड़े योद्धा पहुंचे। परंतु धनुष को कोई उठाना तो दूर हिला तक नहीं सका । जिससे चिंतित राजा दशरथ ने गम और गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि क्या यह धरती वीरों से खाली हो गई है।क्या मेरी बेटी कुंवारी रह जाएगी।जनक के दुख भरे क्रोध को सुनकर प्रभु राम गुरु विश्वामित्र का इशारा मिलते ही आशीर्वाद लेकर धनुष के पास पहुंचे। जहां एक ही बार में धनुष को उठा लिया गया। और प्रत्यंचा चढ़ाते ही धनुष भंग हो गया।शिव धनुष टूटते ही पूरा मेला प्रांगण श्री राम के जयकारों से गूंज उठा।माता सीता ने प्रभु राम को वरमाला पहनाई।इस मनोहर दृश्य को देखकर दर्शन भावुक हो गए।धनुष टूटने की आवाज सुनते ही तपस्या कर रहे । ऋषि परशुराम अचानक जनक दरबार में आ पहुंचे।धनुष को टूटा देखा तो वे आग बबूला हो गए । और धनुष तोड़ने वाले को ललकारने लगे।कुछ देर बाद लक्ष्मण ने आगे बढ़कर उत्तर दिया। लक्ष्मण एवं परशुराम के बीच काफी देर तक तीखा संवाद होता रहा।लक्ष्मण एवं परशुराम संवाद सुन दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए।जनक,राम एवं विश्वामित्र ने किसी तरह परशुराम का क्रोध शांत हुआ।इस मौके पर मेले कमेटी के सभी पदाधिकारी मौजूद रहे।
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