उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के हसवा कस्बे के ऐतिहासिक श्री स्वामी चंद दास परिसर में दस दिवसीय रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें गैर जनपदों से ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा हुए सीता हरण का अभिनय दिखाया जा रहा है। मंगलवार की रात कलाकारों ने सर्व प्रथम आरती और पूजन के बाद रामलीला की शुरुआत हुई। भगवान राम सीता और लक्ष्मण गंगा पार करने के बाद वन पहुंचते हैं। लक्ष्मण द्वारा कुटी का निर्माण होता है। राम सीता कुटी में बैठे होते है। तभी सीता की नजर अचानक सोने के हिरन पर पड़ती है। और सोने का हिरण रावण का मामा मारीच होता है। जो मायावी शक्ति से हिरण बन जाता है। सीता जी हिरण की छाल लाने की हट करने लगती हैं। राम कुटिया की देखरेख लक्ष्मण को सौंप कर हिरण के पीछे- पीछे पकड़ने के लिए दौडने लगते हैं। और हिरण राम को वन में काफी दूर ले जाता है। राम द्वारा हिरण का वध किया जाता है। और मायावी मारीच तीर लगते ही हाय लक्ष्मण हाय सीता की ध्वनि करता है। यह सुनकर सीता व्याकुल हो जाती हैं। और लक्ष्मण को राम को वापस कुटी लाने के लिए भेजती हैं। तब लक्ष्मण कुटिया के चारों ओर लक्ष्मण रेखा खींच कर सीता से कहते हैं। कि किसी भी परिस्थिति में लक्ष्मण रेखा के पार नहीं जाना है। यह रेखा आपकी और कुटिया की रक्षा करेगी। लक्ष्मण के जाते ही मायावी रावण साधु का वेश धारण करके कुटिया के सामने भिक्षा मांगने आता है। सीता भिक्षा देने जाती हैं। तो साधु के भेष में रावण कहता है। कि अगर भिक्षा देनी है। तो लक्ष्मण रेखा के पार आना होगा। पहले तो सीता मना करती हैं। लेकिन साधु के हट के बाद लक्ष्मण रेखा पार करती हैं। और लक्ष्मण रेखा पार करते हैं साधु रावण का रूप धारण करके पुष्पक विमान में सीता को बैठाकर ऊंचे गगन में हवा के वेग से उड़ने लगता है। सीता राम और लक्ष्मण को पुकारती हैं। लेकिन मदद के लिए कोई नहीं पूछता है। तभी गिद्धराज जटायु की नजर पुष्पक विमान पर पड़ती है। और वह मदद के लिए रावण पर प्रहार करता है। रावण जटायु के दोनों पंख काट देता है। और जटायु मूर्छित होकर पृथ्वी पर गिर पड़ता है। रावण सीता को पुष्पक विमान से लंका पहुंचता है। और सीता को अशोक वाटिका में पहुंचाता है। इधर राम लक्ष्मण कुटिया वापस आते हैं। और सीता को न पाकर इधर-उधर वन में खोज करने लगते हैं। और कहते हे खग मृग हे पर्वत वृक्ष नदियां क्या आप ने सीता को देखा है। और खोजते खोजते जटायु के पास पहुंचते हैं। जटायु बताता है कि लंका पति रावण सीता को छल से चुरा कर समुद्र पार अपनी नगरी लंका ले गया है। राम लक्ष्मण जटायु से विदा लेकर सीता की खोज के लिए आगे बढ़ते हैं। सीता का करुण विलाप सुनकर अपने आंसू नहीं रोक पाते हैं। रामलीला कमेटी अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह और पदाधिकारियों द्वारा शांति व्यवस्था रखने के लिए के लिए अपील करते रहते हैं।

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