उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के हसवा कस्बे के ऐतिहासिक दस दिवसीय रामलीला का भव्य रूप से कलाकारों द्वारा संचालित किया जा रहा है। रामलीला के सातवें दिन रावण वध की लीला का मंचन बड़े ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया। रामलीला परिसर में पूजा बंदना के बाद लीला की शुरू किया गया। और राम लक्ष्मण सुग्रीव हनुमान अंगद जामवंत और बंदर भालू कि सेना समुद्र तट के पास पहुंचती है। राम द्वारा समुद्र की मन्नत किया गया और समुद्र पार लंका तक जाने का रास्ता मिल जाए लगातार 3 दिन तक प्रार्थना करने के बाद भी रास्ता नहीं मिलता। तब क्रोध में आकर राम समुद्र को सुखाने के लिए धनुष में बाण चढ़ा लेते हैं बाण चलाते हैं। समुद्र देवता हाथ जोड़कर निवेदन करने लगते हैं कि प्रभु ऐसा न करें आपकी सेना में नल और नील नाम के दो बलशाली बानर हैं जो समुद्र में पत्थर डालेंगे वह डूबेंगे नहीं और सेतु पुल बन जाएगा। नल नील द्वारा ऐसा ही किया जाता है। सेतु बनकर तैयार होता है। और पूरी सेना समुद्र के पार हो जाती है तभी विभीषण द्वारा रावण को समझाया जाता है। रावण विभीषण को लात मारकर लंका से भगा देते हैं। जो रामा दल में पहुंच जाते हैं। एक अंतिम अवसर के रूप में युवराज अंगद को दूत बनाकर लंका भेजा जाता है। रावण और युवराज अंगद में तीखा संवाद होता है रावण का आदेश पाते ही सैकड़ों की संख्या में राक्षस अंगद को उठाकर फेंकने की चेष्टा करते हैं। लेकिन कोई भी अंगद का पैर नहीं हिला पाता है। रावण स्वयं पैर उठाने के लिए झुकता है। अंगद कहते हैं प्रभु श्रीराम के पैर पकड़ लीजिए। जिससे तुम्हारा कल्याण हो जायेगा। वही समुद्र किनारे रामेश्वरम की स्थापना होती है। जहां सैकड़ों की संख्या में भक्तों द्वारा भगवान शिव की आरती उतारी जाती है। इसके बाद मेघनाथ और लक्ष्मण में युद्ध होता है। लक्ष्मण को शक्ति लगती है और वह मूर्छित होकर गिर जाते हैं। राम द्वारा करुण विलाप होता है। राम जी के रोने विलखने से श्रोताओं के आंखों में आंसू बहने लगे थे। हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी लाई जाती है। चेतना अवस्था में आने पर पुनः लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध होता है। और मेघनाथ की मृत्यु होती है। मेघनाथ की पत्नी सुलोचना द्वारा करुण विलाप होता है। और अपने पति के साथ सुलोचना सती हो जाती हैं। उधर रावण अपने छोटे भाई कुंभकरण को युद्ध में लड़ने के लिए भेजते है जहां राम ने अपने बाणों से कुंभकरण मार देते हैं। कुंभकरण की मृत्यु हो जाती हैं। और कुंभकरण की मृत्यु पर रावण को सबसे अधिक दुख होता है। पाताल लोक से रावण द्वारा पुत्र अहिरावण को बुलाया जाता है। और हनुमान जी द्वारा अहिरावण की मृत्यु होती है। एक-एक करके रावण के सभी पुत्रों और भाई की मृत्यु के बाद जिस घड़ी की सबको प्रतीक्षा होती है वह घड़ी आती है। और अंत में स्वयं रावण युद्ध के लिए जाते है। राम -रावण में भीषण युद्ध होता है। लेकिन राम- रावण को नहीं मार पाते हैं। तब विभीषण राम को बताते हैं कि रावण की नाभि में अमृत है।आप एक साथ 31 बाण छोड़िएँ राम ऐसा ही करते हैं। और रावण की मृत्यु होती है।रावण की मृत्यु होती है मंच समेत पूरे पंडाल में राम के जयकारे लगते हैं।आसपास के शहर से लेकर गाँव गाँव के हजारों की संख्या में रावण वध की लीला देखने के पुरुष और महिलाएं बच्चें उठाया आन्नद। कमेटी के अध्यक्ष पुष्पद और पदाधिकारी और सदस्य भी मौजूद थे। थाना प्रभारी आशुतोष सिंह वही हसवा चौकी इंचार्ज मुकेश कुमार सिंह पूरी रात पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद रहा।

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