उत्तर प्रदेश फतेहपुर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि विकास खंड हसवा के रामपुर थरियांव गौ आश्रय स्थल में कुल 328 गौवंश संरक्षित है। निरीक्षण के दौरान गौशाला में 50 कु० भूसा, 10 बोरी चोकर एवं 30 कु० पराली भण्डारित पाया गया। जनपद में उच्चाधिकारियों द्वारा लगातार नैपियर बुआई का क्षेत्रफल बढ़ाने हेतु निर्देशित किया जाता रहा है किन्तु उक्त के सन्दर्भ में ग्रा०वि०अ० द्वारा उक्त आदेशों के प्रति उदासीनता बरती गयी है जिसके फलस्वरूप गौ-आश्रय स्थल में संरक्षित गौवंशों को हर समय मानक के अनुसार हराचारा देना संभव नहीं हो सका, जिसके कारण अधिकाश गौवश कुपोषित पाये गये। गौशाला में 07 गौपालक व 01 रात्रि चौकीदार है जिनके द्वारा प्रतिदिन गौशाला में साफ-सफाई की जाती है। सी०सी०टी०वी० कैमरा क्रियाशील पाये गये एवं ग्रा०वि०५० को निर्देशित किया गया कि विगत 15 दिवस की सी०सी०टी०वी० फुटेज व हरा चारा रजिस्टर, पशुआहार रजिस्टर व कैशबुक प्रस्तुत करें जिसके क्रम में सम्बन्धित ने एक दिवस का समय मांगा था, किन्तु 27.11 2025 सांय तक उक्त फुटेज व अभिलेख प्रस्तुत नहीं किये गये है। निरीक्षण के समय गौ-आश्रय स्थल से सम्बन्धित अभिलेखो में केवल निरीक्षण पंजिका व लॉग बुक प्रस्तुत की गयी। शीत ऋतु से गाँवंको को ठण्ड से बचाव हेतु काऊकोट अभी निर्मित नही है। गौ आश्रय रथल में दान से 02 ट्रॉली पराली प्राप्त हुयी है। ग्राम प्रधान द्वारा अवगत कराया गया कि गौवंशो के भरण-पोषण हेतु 3.5 बीघा नैपियर व 40 बीघा बरसीम की बुआई की गयी है एवं अतिरिक्त 15 बीघा, बरसीम बुआई हेतु शेष है। बीमार गौवंशो के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि दिनांक 24.11.2025 को 01 गौवंश की मृत्यु घायल होने से पशुचिकित्साधिकारी द्वारा इलाज के दौरान व 01 गौवंश की मृत्यु स्वाभाविक रूप से हुयी है। दिनांक 25.11.2025 को भी 01 गौवंश की इलाज के उपरांत स्वाभाविक मृत्यु हुयी है। अन्य दो गौवशो का ईलाज चिकित्सा कक्ष में पशु चिकित्साधिकारी के संरक्षण में किया जा रहा है। पशु चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया गया कि विगत 15 दिवस के निरीक्षण प्रस्तुत करें जिसका अवलोकन करने पर पाया गया कि पशु चिकित्साधिकारी द्वारा दिनांक 14, 25, 27.10.2025 एवं 08, 10, 18 एवं 21.11.25 को गौ आश्रय स्थल का भ्रमण कर बीमार पशुओं की चिकित्सा की गयी एवं निरीक्षण पंजिका में हराचारा उपलब्ध होने का भी उल्लेख किया था। पशु चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया गया कि गौ आश्रय स्थल में संरक्षित गौवंशो का नियमित स्वास्थ्य परिक्षण करते हुये देखभाल करना सुनिश्चित करे। ग्राम सचिव को निर्देशित किया गया कि गौवंशो को पर्याप्त मात्रा में हराचारा, मूसा व पशुआहार दिया जाये एवं गौशाला का नियमित भ्रमण करते हुये ग्राम प्रधान के सहयोग से संरक्षित गौवंशो की देखभाल हेतु समुचित व्यवस्थायें सुनिश्चित करें ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की विषम परिस्थिति न उत्पन्न हों। निरीक्षण पंजिका का अवलोकन करने पर पाया गया कि खण्ड विकास अधिकारी व ए०डी०ओ० पचायत द्वारा विगत 15 दिवस में गो-आश्रय स्थल का कोई भी निरीक्षण नहीं किया गया है। निष्कर्ष निरीक्षणोपरांत पाया गया कि ग्रा०वि०अ० व ग्राम प्रधान को लगातार निर्देशित करने के बावजूद संरक्षित गौवंशो के भरण-पोषण हेतु पर्याप्त मात्रा में हराचारा, दाना व भूसा नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण गौवंश कमजोर व कुपोषित है। इससे ग्रा०वि०अ० की लापरवाही प्रतीत होती है जो कि इनके कार्य के प्रति लापरवाही का द्योतक है। पशु चिकित्साधिकारी द्वारा बीमार गौवंशो की सघनता से चिकित्सा नहीं की गयी है जिससे पशु चिकित्साधिकारी की लापरवाही प्रतीत होती है। निरीक्षण के दौरान खण्ड विकास अधिकारी हसवा, पशु चित्कित्साधिकारी थरियांव, ग्रा०वि०अ० एवं ग्राम प्रधान मौजूद रहे।
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