इमामे हुसैन की याद को ताज़ा करने वाले वैसे तो दुनिया के कोने कोने में बसे हुए है। क्यो की मजहबे इस्लाम के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने आप को कुर्बान कर दिया यजीदी लाहो लस्कर ने 6 माह के मासूम अली असगर को भी नहीं बक्सा जिस्म को तीरों से छलनी कर दिया जिस गर्दन को बचपन में नाना जान ने चूम कर कहा था मेरे लख्ते जिगर तुम को कर्बला में एक दिन अपनी गर्दन कटानी हैं।
उस वक्त की नाना जान की कही बात को हजरत इमाम हुसैन ने पूरा किया। खुश्क होंठ प्यास की शिददत शहीदो के लबो तक एक कतरा पानी की बूंद भी मयस्सर न हो सकी क्यूँ की यही थी मंजूरे खुदा वन्दी। शहीदो के खून की खुशबू कर्बला की मिटटी से आज भी आलमे इस्लाम महसूस कर उनकी याद में हमेशा यादे हुसैन के रूप में मानता है।
आज उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले में शिया यूथ कमेटी ने हज़रत इमाम हुसैन द्वारा कर्बला के मैदान मे मानवता के हित मे दिए गए बलिदानों को याद करते हुए इमाम हुसैन के चेहलुम के मौक़े पर ज़िला अस्पताल मे फल, जूस, पानी, बिस्किट, आदि का मरीज़ों को तकशीम किया। कमेटी सदस्य ने बताया की इमाम हुसैन का बलिदान संपूर्ण मानव जाती के लिए एक मिसाल है। इस मौक़े पर ज़ाहिद अली, शाज़ी अब्बास, अहमर, मोनिस, सलमान, अलमदार, तनवीर फ़िरोज़, शोएब, आदि सदस्य मौजूद रहते हुए। मरीज़ों को फल वगैरा वितरण करने में भरपूर सहयोग करते नज़र आये।
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