उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत हो रहा इलाज जनवरी 2022 से अब तक क्लब फुट के 20 बच्चे चिन्हित जिले में दो महीने के अफान को अब टेढ़े मेढ़े पैरों (क्लब फुट) की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। इसी प्रकार एक महीने की प्रिंसी और डेढ माह के आरव भी विकलांगता के अभिशाप से मुक्त हो सकेंगे।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत चिन्हित 20 बच्चों के टेढ़े मेढ़े पैरों का ट्रीटमेंट चल रहा है।
बिंदकी बडा कुआं गांव के रहने वाले मोहम्मद अफान का जब जन्म हुआ तो उसके टेढ़े मेढ़ पैर देख परिजन परेशान ही नहीं निराश भी हो गए थे। शायद अफान के अब्बू अम्मी यही सोंच रहे थे कि उनके लाडले को जिंदगी भर इस बीमारी से झेलना पड़ेगा। अफान के पिता मो0 अतीक और उनकी मां रोशनी एक दिन उसे लेकर जिला अस्पताल आए यहां पर डाक्टरों की टीम ने देखा और फिर उसे आरबीएसके के क्लबफुट में रजिस्ट्र्रेशन कराकर इलाज शुरू किया। अफान की मां ने बताया कि बच्चे का एक महीने से इलाज चल रहा है और वह ठीक है।

इसी प्रकार बहरामपुर के रहने वाले अमित गुप्ता और रंजना गुप्ता की एक महीने की बेटी प्रिंसी को भी टेढ़े मेढ़े पैर की बीमारी थी। जन्म के बाद से घर वाले बेटी की बीमारी को लेकर चिंतित रहते थे लेकिन एक दिन आंगनबाड़ी केंद्र में पहुंची आरबीएसके की टीम ने प्रिंसी की जांच की और उनके घरवालों से बात कर जिला अस्पताल में इलाज शुरू किया। प्रिंसी की मां रंजना ने बताया कि प्रिंसी का इलाज किया जा रहा है उसे जूते भी पहनने को मिले हैं जिससे आराम है। अब उनकी बेटी अच्छे से चल फिर सकेगी।

तीसरा मामला टेकारी गांव का है। गांव के रहने वाले प्रमोद कुमार ओर सीता देवी के डेढ माह के पुत्र आरव भी इसी परेशानी की चपेट में है। परिजन बच्चे को नजदीक स्वास्थ्य केंद्र हरदो लेकर गये वहां पर चिकित्साधिकारी ने जांच के बाद आरबीएसके की टीम से संपर्क कर इलाज कराया। पिता प्रमोद ने बताया कि बच्चे का इलाज चल रहा अब सही है।

मिरेकल फीट इंडिया नाम की संस्था राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ मिलकर आरबीएसके के अंतर्गत विशेष कर क्लब फुट के मरीजों को निशुल्क काउंसलिंग की सुविधा प्रदान कर रही है। इसके लिए संस्था के कार्यक्रम अधिकारी जिला अस्पताल में आर्थाेपेडिक सर्जन के साथ मिलकर क्लब फुट के केस देखते हैं। बच्चों के मुड़े हुए पैरों का समय से कराएं उपचार जिले में वर्ष 2022 जनवरी से लेकर अब तक 20 बच्चे क्लब फुट मुड़े हुए पैर बीमारी से ग्रसित मिले हैं। डीईआईसी मैनेजर विजय सिंह ने बताया कि क्लब फूट जन्मजात विकृति है। जनपद में इससे ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इस विकृति में बच्चों के पैर अंदर की ओर मुड़े हुए होते हैं। लोग अक्सर इसे बीमारी ना समझ कर इलाज नहीं कराते जिससे भविष्य में बच्चे को स्थाई विकलांगता आ सकती है।

ब्लॉकों में गठित की गई टीमें
सीएमओ डा. सुनील भारतीय ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए प्रत्येक ब्लॉक में दो-दो हेल्थ टीमें गठित की गई हैं। यह टीमें सभी आंगनबाड़ी केंद्रों सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करती हैं जो भी बच्चे इस टीम से चिन्हित किए जाते हैं उनका निशुल्क इलाज सीएचसी जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में किया जाता है। साथ ही बच्चों को कानपुर और लखनऊ के बड़े अस्पतालों के लिए भी रेफर किया जाता है। ज्यादातर गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोलियों का सेवन नहीं करती जिसका असर उनके होने वाले बच्चे पर पड़ता है। सिर्फ क्लबफुट ही नहीं बल्कि जितने भी जन्मजात रोग या विकलांगता हैं उसको आयरन की कमी से दूर किया जा सकता है।

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