उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी, फतेहपुर के निर्देशन में, दिनांक 21 अप्रैल, 2025 को खंड विकास अधिकारी ब्लॉक तेलियानी राहुल मिश्रा एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी कन्हैया लाल के संयुक्त नेतृत्व में ग्राम बकन्धा स्थित शासकीय कम्पोजिट विद्यालय एवं आँगनबाड़ी केंद्र में “जीवन के प्रथम 1000 दिवस ” परियोजना के अंतर्गत जनपद एवं उत्तर प्रदेश के तीसरे जलवायु-संवेदनशील, बाल संवेदी खेल मैदान के निर्माण हेतु प्रस्तावित स्थल का भौतिक निरीक्षण एवं भूमि चिन्हांकन कार्य किया गया। इस संयुक्त भ्रमण में कनिष्ठ अभियंता, ग्रामीण अभियांत्रिकी विभाग अखिलेश यादव, प्रधानाध्यापिका, कम्पोजिट विद्यालय शैलजा गुप्ता,वरिष्ठ सलाहकार एवं कार्यक्रम अधिकारी अनुभव गर्ग, ग्राम प्रधान बकन्धा प्रधान शिवकांती के प्रतिनिधि, आँगनबाड़ी कार्यकत्री पूर्णिमा, सहायिका लाड़ली बेगम, तथा अन्य शिक्षिकाएं एवं संबंधित विभागों के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।”जीवन के पहले 1000 दिवस ” एक दूरदर्शी परियोजना के अंतर्गत, जलवायु-संवेदनशील, उत्तरदायी, संवेदी बाहरी खेल मैदान एक विश्वस्तरीय नवाचार है, जो ग्रामीण भारत में बच्चों को केवल आनंद और गतिविधि ही नहीं, बल्कि स्थिरता और विज्ञान से जुड़े महत्वपूर्ण प्रारंभिक शिक्षण अवसर भी प्रदान करेगा। में शुरू की गई यह पहल इसे एक परिवर्तनकारी मॉडल के रूप में तैयार कर रही है। जो बाल्यावस्था की आवश्यकताओं को जलवायु परिवर्तन कार्रवाई, स्थानीय नवाचार और देशी संसाधनों के उपयोग से जोड़ती है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, बाल मनोवैज्ञानिकों, स्थानीय कारीगरों और गांव की महिलाओं के सुझावों से तैयार होने वाला यह स्थान संवेदी ज़ोन, प्राकृतिक बनावट, जल और रेत खेल, ध्वनि तत्व, स्पर्शीय रास्ते, बांस और मिट्टी से बने चढ़ाई संरचनाएं, और छायादार कहानी सुनाने के कोनों से सुसज्जित होगा। प्रत्येक तत्व स्थानीय रूप से प्राप्त, पर्यावरण-अनुकूल सामग्री से बनाया जावेगा, जो इसे टिकाऊ और कम लागत वाला होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका डिज़ाइन बाल संवेदी है—जिससे विभिन्न क्षमताओं और प्रारंभिक बाल्यावस्था आयु वर्गों के बच्चे अपने स्पर्श, गति, सुनने और अन्वेषण की इंद्रियों के माध्यम से वातावरण से जुड़ सकेंगे। यह स्थान न केवल मोटर कौशल को बढ़ावा ही नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव, भाषा विकास और बौद्धिक जिज्ञासा को भी पोषित करेगा। बढ़ते तापमान और बदलते वर्षा पैटर्न के कारण बच्चों के स्वास्थ्य और बाहरी गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए इस स्थान में छायादार वृक्षों की छतरी, वर्षा जल संचयन गड्ढे और जलसंचलन योग्य मिट्टी के रास्ते जैसी जलवायु-स्मार्ट विशेषताओं को शामिल किया गया है, जिससे यह पूरे वर्ष उपयोग योग्य बनाएगा। परियोजना में अपशिष्ट एवं वर्षा जल पुनर्चक्रण, हरित भूदृश्य और सौर प्रकाश व्यवस्था को भी जोड़ा जावेगा—जिससे यह स्थान बच्चों के लिए जीवंत सीखने की प्रयोगशाला बनेगा। इस पहल के केंद्र में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जावेगी। डिज़ाइन से लेकर रख-रखाव तक की प्रक्रिया में माताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, पंचायती राज सदस्यों और युवाओं को सक्रिय रूप से शामिल किया जायेगा, जिससे स्थानीय स्वामित्व और टिकाऊपन सुनिश्चित हो। यह जमीनी दृष्टिकोण न केवल गांव को सशक्त बनाता है, बल्कि बच्चों की देखभाल, पोषण और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति व्यवहार में बदलाव को भी प्रोत्साहित करेगा।
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