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जहाँ देश के प्रधानमंत्री नंरेन्द्र मोदी भारत को टीवी मुक्त देश बनाने के लिए प्रयासरत है। तरह-तरह की योजनाओं से मरीजों को लाभ पहुंचाने का भर्षक प्रयास किया जा रहा है। जिसमे समाज सेवियों द्वारा टीबी के मरीज़ों को पोषण किट वितरित की जा रही तो सरकार द्वारा फ्री दवाओं के साथ मरीज़ के खाते में धनराशि भेजी जा रही की जल्द से जल्द पौष्टिक आधार खाकर टीबी का मरीज़ ठीक हो और भारत टीवी मुक्त देश घोषित हो सके।


वही उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के टीबी जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर अशोक कुमार गुप्ता को इस बात से कोई लेना देना नही है। वह तो मरीज का शोषण कर अपनी जेब भरने में लगे है। बाहर की दवाएं लिखना उससे मोटा कमीशन कामना उनकी दिनचर्या में सामिल है। टीबी जिला अस्पताल के सामने किसी तरह की कोई मार्केट ना होने के चलते सन्नाटा रहता है। एक मेडिकल स्टोर है जो टीबी अस्पताल की छत्र छाया में चल रहा है। टीबी अस्पताल के समय खुलता है और अस्पताल के बंद होते ही उसका सटर बंद हो जाता है। टीबी अस्पताल के डॉक्टर द्वारा लिखी गई कमीशन वाली दवाएं इसी स्टोर से आती हैं।

आज जिला टीबी अस्पताल में छोटे लाल नामक तीमारदार अपनी पत्नी का इलाज कराने आया। जहाँ जांच के बाद उसको टीबी सिद्ध होने पर उसको सामने से दवा लाने के लिए एक पर्ची पकड़ा दी गई। जब छोटे लाल सामने स्टोर पर पहुंचा तो उससे दवा की कीमत 540 रुपए वसूल की गई।

जबकि दवा के डिब्बी पर 270 रुपए एमआरपी प्रिंट है और कीमत वसूल की गई 540 रुपए छोटे लाल ने वापस आकर अपनी पीड़ा मीडिया से बयां किया तो मीडिया ने जब डॉक्टर गुप्ता से इस सम्बंध में बात कर बाहर से दवा लिखने के बारे में पूछा तो डॉक्टर कुछ नही बोले मरीज़ के तीमारदार से दवा वापस करने की बात करने लगे।
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