उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले में आज बैंकिंग कानून संशोधन बिल के विरोध में कांग्रेसीओ ने की कॉन्फ्रेंस। आरोप लगाया कि साहूकारी व्यवस्था को पुनर्जीवित करने को लेकर भाजपा रच रही षड्यंत्र। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी बैंकिंग कानून संशोधन बिल जो भारतीय संसद के इस मानसून सत्र में भारतीय जनता पार्टी द्वारा लाया जा रहा है। उसका पुरजोर विरोध करती है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने हरित क्रांति के बाद 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर निजी बैंकों के लाभ को राष्ट्र के विकास एवं जन कल्याण की धुरी बनाई जो जनता के प्रति जवाबदेह होकर सरकार की हिस्सेदारी 51% रखी थी। जिससे बैंक जनता के नियंत्रण में रहे। उक्त बातें उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव मिस्बाहुल हक़ ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहीं।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव ने कहा कि आज पूरे देश में बैंकिंग कानून संशोधन बिल जो भारतीय संसद के मानसून सत्र में प्रस्तावित है का पुरजोर विरोध करती है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव ने कहा कि आज ही के दिन 19 जुलाई 1969 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हरित क्रांति के बाद 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर निजी बैंकों के लाभ को राष्ट्र के विकास एवं जन कल्याण की धुरी बनाई जो जनता के प्रति जवाबदेह होकर सरकार की हिस्सेदारी 51% रखी थी जिससे बैंक जनता के नियंत्रण में रहे इसके बाद छह और बैंकों का राष्ट्रीयकरण 15 अप्रैल 1980 को किया गया जो धीरे-धीरे बढ़कर 27 राष्ट्रीय कृत बैंक देश की जनता के लिए गरीबी उन्मूलन का एक बहुत बड़ा कारण बने। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जैसा कि केंद्र सरकार एक अलग विचारधारा से पोषित है जो पूंजीपतियों को बढ़ावा और राष्ट्रीयकरण के विरुद्ध निजीकरण को बढ़ावा देने का काम 2014 से अब तक करती चली आ रही है। कई क्षेत्रों में प्रमाणित हो चुका है कि बैंकों का कर्जा जिन पूंजी पतियों के पास है उनकी कर्ज माफी कर दी जाती है और जनता के कल्याण की पूंजी प्रवाह रुक जाती है जिससे महंगाई निवेश आयात निर्यात शिक्षा स्वास्थ्य बेरोजगारी जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से अंतर पड़ रहा है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि भारतीय संसद के मानसून सत्र में प्रस्तावित मोदी सरकार इन बैंकों का वर्तमान शेयर 51% से घटाकर 26% कर देगी जिससे इन बैंकों में जमा पैसा निजी उद्योगपतियों का हो जाएगा इन सरकारी बैंकों को यही पूजी मित्र खुद खरीदेंगे जो बैंकों के कर्जदार और अपना कर्जा मोदी सरकार से माफ करा लेंगे जैसा कि पूर्व में कई बार करा चुके हैं। अगले कुछ वर्षों में यह हिस्सेदारी पूरी तरह से खत्म कर देंगे जब इन बैंकों की जिम्मेदारी ना तो जनता के लिए नई सरकार के प्रति होगी उल्टे वाह मनमाने ढंग से अनियंत्रित ब्याज दर पर सरकार को ही करवा देंगे परिणाम स्थानीय स्तर पर साहूकारी व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक 2017 से 2021 तक सार्वजनिक बैंक घटाकर 27 से 12 रह गए हैं जो धीरे-धीरे कम कर दिए जाएंगे बैंकों के निजीकरण से समाज में व्यापक असंतोष इसलिए बढ़ेगा कि सामाजिक हित के स्थान पर रोहित का महत्व बढ़ेगा क्षेत्र के उपभोक्ताओं की कमी होगी बेरोजगारी बढ़ने की दर बढ़ेगी सामाजिक आर्थिक समानता के साथ मध्यम और गरीब रथ को जीने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा उन्होंने स्टार्टअप सेवा पर बताया कि विपरीत प्रभाव पड़ेगा और दलित आदिवासी और गरीब बच्चों को नौकरी मिलना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने अंतिम कहा कि इस तरह के काले कानून को मानसून सत्र में लाना भारतीय जनता पार्टी की नियत को दर्शाती है जिसे किसी भी कीमत पर लागू न किया जा सके इसके लिए काग्रेस पूरे देश में विरोध प्रदर्शन दर्ज कराएगी। पत्रकार वार्ता के दौरान जिला सचिव अमीरुज्जमा खान, मोहम्मद आलम आदि मौजूद रहे।