उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के काज़ी शहर कारी फरीद उददीन कादरी ने अलविदा जुमा कीं नमाज़ से पहले जामा मस्जिद बंदगी मिया मोहल्ला पनी मे अपनी तकरीर के दौरान कहा कीं रमज़ान के महीने के आखरी जुमे को अलविदा जुमा कहा जाता है अलविदा का शाब्दिक अर्थ जुदाई के है यानी इसके बाद रमज़ान मे जुमा अब इस वर्ष न होगा।

वैसे तो सभी दिन एक समान है मगर मुस्लिम समाज में जुमा के दिन को खाश अहमियत है। और वह माहे रमज़ान का आखरी जुमा यानी अलविदा हो तो मस्जिदों में भीड़ बढ़ना लाज़मी है। आज सुबह से मुस्लिम मोहल्लों में अलविदा की नमाज़ को लेकर चहल पहल देखी जा रही थी। और नमाज़ के वक़्त मस्जिदों में भीड़ ज़्यादा हो जाने पर कुछ जगहों पर मस्जिद के बाहर नमाज़ियों के लिए टेंट लगाया गया था।

जिससे रोज़े की हालत में उनको धूप में न खड़ा होना पड़े। जिले की मस्जिदों में अलग अलग वक्त पर 12:30 मिनट पर सदर कोतवाली के मसवानी मोहल्ले की बाग वाली मस्जिद से अलविदा की नमाज़ का शिलशिला शुरू हुआ तो कोतवाली क्षेत्र की ही मस्जिद ज्वालागंज में स्थित मियाँ साहब की तकिया वाली मस्जिद 2:15 मिनट पर अलविदा की नमाज़ के बाद वक्त खत्म हुआ। जिसमे शासन प्रशासन का भरपूर सहयोग रहा।

वही काज़ी शहर कारी फरीद उददीन कादरी ने इस मौके पर नमाज़ियों को खिताब करते हुए कहा इस्लामी शरिअत पर चल कर एक सच्चे इंसान हो जाने को कहा और कुरान की आयतों के हवाले से जहा पवित्र रमज़ान कीं खूबियां बताई वही दुनिया मे अमनो सुकून का रास्ता भीं कुरान के उसूलों पर चल कर तलाशने को कहा चुकी इस्लाम वो धर्म है जो क़यामत तक आने वाले इंसानो कीं रहनुमाई करे गा पैगम्बर-ए-इस्लाम कीं शिक्षा पर चल कर ही दुनिया मे अमनो शान्ति का माहौल पैदा किया जाना यक़ीनी हो सकता है।

शिक्षा कीं अहमियत को उजागर करते हुए कहा कीं मज़हबे इस्लाम मे तालीम हासिल करना फ़र्ज़ है इस लिए इल्म ( शिक्षा ) इंसानी तरक्की कीं पहली मंजिल है अलविदा नमाज के बाद अल्लाह ताला कीं बारगाह मे सभी नमाजीयो ने मुल्क व सारी दुनिया के लिए अमनो शान्ति कीं दुआ कीं उन्होंने ईद उल फित्र के त्योहार को आपसी भाई चारा के साथ मनाने कीं अपील की।
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