उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के ऐरायां विकास खंड के सराय इदरीस गांव में वर्षों पुराने रहमत शाह-ताजे शाह बाबा की मजार पर उर्स मुबारक संपन्न हुआ। गागर, चादर, गुलपोशी के साथ अकीदतमंदों ने रहमत के साथ मुल्क में अमन चैन की दुआएं मांगी। फातिहा के बाद कव्वाली का प्रोग्राम हुआ जिसमें कानपुर के शकील ताज और बांदा के गुलजार वारसी ने हम्द,नात, मनकबत पेश किए।मोहम्मद असलम,मोहम्मद रहमत उल्ला,सुंदर,अनवर अली, शाहनवाज मोहम्मद आदि ने कव्वालों का इस्तकबाल किया। सराय इदरीश गांव में उर्स के दौरान हिंदू मुस्लिम एकता देखने को मिली।बड़ी संख्या में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी अकीदत के साथ उर्स में शिरकत की। कमेटी की ओर से शरबत का भी इंतजाम किया गया था।लंगर का भी प्रोग्राम था

जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने तबर्रुक ग्रहण किया।इस मौके पर मेला भी लगा हुआ था जिसमें तरह-तरह की चीजें बिक रही थीं।बच्चों ने मेले का खूब आनंद उठाया।देर रात तक चले कव्वाली के प्रोग्राम में हम्द, नात, मनकबत पेश किए गए। शकील ताज ने पढ़ा-मुझमें पोशीदा खुदा तू है, है जुबां मेरी बोलता तू है, तेरे बंदों ने ऐ खुदाबंदा, सर झुका कर कहा बड़ा तू है।छोटे-बड़े सभी से वफा कर लिया करो,बंदे हो तो खुदा का कहा कर लिया करो।नहीं है तुमसा कोई भी गरीब नवाज।हूरो-मलाइका सब सर को झुका रहे हैं,मक्के की सरजमीं पर सरकार आ रहे हैं। कव्वाल गुलजार वारसी की भी शानदार पेशकश रही।हर कोई फ़िदा है बिन देखे दीदार का आलम क्या होगा,एक सिम्त अली एक सिम्त उमर,सिद्दीक़ इधर उस्मान उधर, नइन जगमग जगमग तारों में, सरकार का आलम क्या होगा, जिस वक्त हलीमा की गोदी अनवार-ए-खुदा से रोशन थी,उस वक्त हलीमा दाई के घर-बार का आलम क्या होगा,जब इनके गदा भर देते हैं, शाहाने ज़माने की झोली, मोहताज का जब ये आलम है,मुख्तार का आलम क्या होगा,चाहे तो इशारों से अपने काया ही पलट दे दुनिया की,ये शान है उनके गुलामों की,सरदार का आलम क्या होगा,सुन सुन के सहाबा की बातें कुफ्फार मुसलमां होते थे, फिर मेरे रसूल-ए-अकरम की गुफ़्तार का आलम क्या होगा।।
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